भेलवा पंचायत के ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, जनपद पंचायत आकर जनप्रतिनिधियों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सचिव को हटाने के लिए लगाए नारे, प्रशासन के उड़े होश
मुकेश अग्रवाल हिंद शिखर न्यूज पत्थलगांव | फरसाबहार विकासखंड के भेलवा पंचायत के ग्रामीणों ने यहां के सचिव को नहीं हटाए जाने को लेकर काफी आक्रोशित हैं। जिला पंचायत से लेकर जिला पंचायत सीईओ कलेक्टर सहित आला अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों से कार्रवाई की मांग की जाने के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो पंचायत के ग्रामीणों ने जनपद में आकर जमकर प्रदर्शन किया और सुनीता हटाओ पंचायत प्रतिनिधियों के होश में आने के बाद भी अपने नारों में कही।
आज 7 जनवरी को बड़ी संख्या में ग्रामीण सड़क पर उतर आए और रैली निकालकर जो नारे लगाए है वह जशपुर जिले के लिए ऐतिहासिक साबित हो रहा है। ग्रामीणों ने विधायक एवं संसदीय सचिव यूडी मिंज होश में आओ, जिला पंचायत सदस्य विष्णु कुलदीप होश में आओ नवीना पैकरा होश में आओ, सुनीता भगाओ के नारे लगा रहे हैं। आरोप है कि ईनके द्वारा पहल नहीं किए जाने के कारण है पंचायत सचिव की मनमानी से ग्रामीण परेशान है और इनके द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
सवाल यह उठता है कि आखिर यह सुनीता कौन है जिस के विरुद्ध एक ओर जहां पूरा पंचायत है वही उसके सपोर्ट में प्रशासन खड़ा है। ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत सचिव सुनीता के द्वारा काफी भ्रष्टाचार किया जाता रहा है और जांच में कार्रवाई के बाद यहां से हटाने की बात भी अधिकारियों के द्वारा कही गई लेकिन सुनीता पूर्ववत पंचायत में डटी हुई है और उनके कामकाज प्रभावित हो रहे हैं। ग्रामीणों ने पूर्व में ज्ञापन देते हुए 7 जनवरी को प्रदर्शन की बात कही थी लेकिन मामले में कोई कार्रवाई नहीं होने के बाद ग्रामीण इस प्रदर्शन के लिए मजबूर हुए। इधर प्रदर्शन के दौरान जनपद के सीईओ सहित सारे अधिकारी यहां से गायब हो गए। बताया जा रहा है कि शासकीय कार्य में अधिकारी गायब हुए हैं लेकिन ग्रामीण यहां पर ज्ञापन देने के लिए डटे हुए हैं और कह रहे कि जब तक कोई अधिकारी नहीं आएगा हम यहां से बिना ज्ञापन दिये घर नहीं लौटेंगे। सवाल है कि ग्रामीणों ने प्रदर्शन की चेतावनी दी थी और सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात हैं, इसके बावजूद यहां ज्ञापन लेने वाला कोई क्यों नहीं है।
क्या है मामला
आंदोलन के लिए चर्चित फरसाबहार विकासखंड खंड का भेलवा पंचायत एक बार फिर सुर्खियों में है। 10 साल पहले इस पंचायत के लोगों का आंदोलन जब प्रारंभ हुआ था तो पंचायत क्षेत्र पुलिस छावनी में तब्दील हो गई थी और पूरे प्रदेश में हड़कम्प मच गया था। 10 साल बाद भेलवा पंचायत के लोगों ने नया आंदोलन खड़ा किया है और यह आंदोलन यहां के सचिव को हटाने को लेकर है। ग्रामीणों ने यहां के पंचायत सचिव पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की। ग्रामीणों का कहना है कि कार्यवाही अधर में है यहां के सचिव को हटाने की कार्यवाही दिखाई गई और दूसरे सचिव को भी यहां लाया गया। लेकिन दूसरे सचिव को यह अधिकार नहीं दिया गया और राजनीतिक दबाव में पूर्व सचिव को ही यहां पर रखा गया है। जिससे ग्रामीणों में काफी आक्रोश है। एसडीएम फरसाबहार को ज्ञापन देते हुए ग्रामीणों ने पूर्व में लिखा है कि ग्राम पंचायत भेलवा में वर्तमान में पदस्थ सचिव कुमारी सुनीता भगत के कारण ग्राम पंचायत भेलवां में जन्म / मृत्यु , विवाह प्रमाण पत्र , शौचालय निर्माण कार्य नही हो रहा है जिसमें समस्त ग्रामवासियों को दर – दर का ठोकर खाना पड़ रहा है। जिसमें ग्राम पंचायत सचिव कुमारी सुनीता भगत के द्वारा किसी प्रकार का कार्य नही कर रही बल्कि वर्तमान ग्राम पंचायत सचिव चन्दर राम यादव के द्वारा बोला जाता है कि मेरे को पंचायत में कोई हस्ताक्षर करने का अधिकार नही दिया गया है, ऐसा कहा जाता है तथा सचिव कुमारी सुनीता भगत से निवेदन करने पर उनके द्वारा बोला जाता है कि मैंने प्रभार दे दिया है बोला जाता है। ग्रामीणों ने एसडीएम से कहा कि संपूर्ण विषयवस्तु को देखते हुए ग्रामवासी का जन्म , मृत्यु , विवाह प्रमाण पत्र , शौचालय निर्माण , एवं पेंशन वितरण किसके द्वारा किया जाये इस संबंध में मौखिक निवेदन जनप्रतिनिधि को भी सुनाया गया, परन्तु उनके द्वारा कोई भी संतोषप्रद जवाब नही दिया जाता है। जिससे ग्राम पंचायत भेलवां के आम जनता काफी परेशान हैं । ग्रामीणों ने निवेदन किया है कि ग्राम पंचायत भेलवां की सचिव को नियमित रूप से कार्य करने की आदेशित किया जावे। ग्रामीणों ने ज्ञापन में तीन दिवस के भीतर मांग पूरी नहीं होने पर प्रदर्शन की चेतावनी दी थी। ग्रामीणों ने जनपद पंचायत फरसाबहार के कार्यालय का घेराव करने की बात कही थी। आज के प्रदर्शन के बाद ग्रामीणों ने बताया है कि वे आगे उग्र प्रदर्शन करने जा रहे हैं और या प्रदर्शन पूरे प्रदेश में प्रभावी होगा और मांग होगी कि मुख्यमंत्री इस मामले को संज्ञान में लेकर इस बात की जांच भी करें कि आखिर स्थानीय प्रशासन उक्त सचिव को इतना संरक्षण क्यों देना चाहता है।