पुराने सचिव ने फर्जी एमबी व बिल बनवाये और भुगतान के लिए लगा दिया जनपद में…गौठान निर्माण में लाखों के फर्जीवाड़े का आरोप
चन्द्रिका कुशवाहा प्रतापपुर। गौठान निर्माण में एक बड़े फर्जीवाड़े की बातें सामने आ रही हैं जिसमें काम तो वर्तमान सरपंच और सचिव करा रहे हैं लेकिन पुराने सचिव ने कार्यों के फर्जी एमबी और बिल बना भुगतान के लिए लगा दिया है।मामला जनपद पंचायत प्रतापपुर के ग्राम पंचायत मायापुर 2 का है और सरपंच ने भुगतान रोकने जनपद सीईओ को आवेदन दिया है,उन्होंने मामले की जांच व कार्यवाही की मांग भी की है।
मिली जानकारी के अनुसार प्रतापपुर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत मायापुर 2 में करीब 13 लाख रुपये की लागत से गौठान निर्माण की स्वीकृति मिली थी,उस समय यहां सचिव के पद पर चंदन गुप्ता कार्यरत था और पुराने सरपंच के साथ गौठान में कुछ काम कराया था।लेकिन अब वहां से हटने के कई महीनों बाद उसने एक फर्जीवाड़ा किया है और बिना काम कराये ही लाखों रुपये के बिल व फर्जी एमबी बनवा भुगतान के लिए जनपद कार्यालय में दी दिया है।जानकारी देते हुए पंचायत की सरपंच देवेंद्र कुमारी व उनके पति सोमार साय ने बताया कि अपने कार्यकाल में पुराने सरपंच और सचिव ने जो निर्माण कार्य कराये थे उनका भुगतान उन्हें मिल गया था जिसमें भी फर्जीवाड़ा है।उनके सरपंच निर्वाचित होने के बाद जब गौठान के काम को आगे बढ़ाना था तब उन्होंने उस समय तक हुए कार्यों की जानकारी ली और पूरी फाइल देखी थी।इसके बाद उन्होंने बाकी कार्यों को कराना आरम्भ किया था,वे कई दिनों से स्थानीय तकनीकी सहायक से मौके पर आकर मेजरमेंट करने बोल रहे थे लेकिन वे आजकल में दिन बढ़ाते जा रहे थे।जब उनका मेजरमेंट का काम नहीं हो रहा था तो उन्हें शंका हुई और जनपद कार्यालय प्रतापपुर में आकर फाइल देखा तो वे आश्चर्य चकित जो गए क्योंकि उन्होंने जो काम कराया था उसका मेजरमेंट गलत तरीक़े से पूर्व सचिव चंदन गुप्ता ने करा लिया था और सरपंच व स्वयं के दस्तखत वाले लाखों रुपये के बिल भी सम्मिट कर दिए थे।वर्तमान सरपंच ने बताया कि पंचायत चुनाव के बाद फेंसिंग व अन्य कार्य उन्होंने कराये हैं लेकिन पूर्व सचिव द्वारा फर्जी तरीक़े से मेजरमेंट कर लिया ताकि भुगतान वह स्वयं ले सके,इसका पता उन्हें तब चला जब उन्होंने जनपद कार्यालय में आकर फाइल देखी।आज उन्होंने मामले को लेकर जनपद सीईओ और मनरेगा के कार्यक्रम अधिकारी को आवेदन देकर भुगतान रोकने की मांग की है,साथ ही इस फर्जीवाड़े की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग भी की है।वर्तमान सरपंच ने कहा कि अगर वे फाइल नहीं देखते तो फर्जी तरीके से लाखों का भुगतान उक्त सचिव को हो जाता,अगर मामले में कार्यवाही नहीं हुई तो वे उच्च स्तर पर मामले की शिकायत करेंगे।
वर्तमान सरपंच ने दिखाई सतर्कता..
सरपंच ने बताया कि उन्हें जब शंका हुई तो जनपद कार्यालय में आकर गौठान निर्माण की फाइल देखी और वे आश्चर्य में पड़ गई कि सचिव चंदन गुप्ता और पुराने सरपंच के दस्तखत युक्त बिल और एमबी लगा हुआ था जो 31 अगस्त 2020 की तारीख में थे।उन्हें पूरा मामला समझ में आ गया और आज 3 सितंबर को उन्होंने जनपद सीईओ और कार्यक्रम अधिकारी को भुगतान रोकने आवेदन दिया, आज फिर उन्होंने फाइल चेक की तो उसमें से बिल गायब हो गए थे।बरहाल वर्तमान सरपंच की सतर्कता से एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है और देखने वाली बात होगी कि अधिकारी मामले में क्या कार्यवाही करते हैं।
पंचायत भवन की चाभी तो मिली लेकिन रिकॉर्ड नहीं..
पंचायत भवन की चाभी तो मिली लेकिन रिकॉर्ड नहीं,यह भी रख स्थिति ग्राम पंचायत मायापुर 2 की है।वर्तमान सरपंच ने जानकारी देते हुए बताया कि जब वे सरपंच बन कर आईं और नए सचिव ने पदभार ग्रहण किया तो रिकॉर्ड के नाम पर कुछ नहीं मिला,केवल पंचायत भवन की चाभी थमा दी गई।बताया जाता है कि पंचायत को मनरेगा से कम्प्यूटर मिला था लेकिन वह भी गायब है,केशबूक के साथ अन्य रिकॉर्ड पुराने सचिव के पास ही हैं।कई बार वे रिकॉर्ड मांग चुके हैं,जनपद सीईओ को भी पहले इस बात से अवगत करा चूके हैं लेकिन रिकॉर्ड नहीं दिये जा रहे हैं क्योंकि उनके फर्जीवाड़े खुलने का डर उन्हें सता रहा है।उन्होंने बताया कि वर्तमान सचिव नई केशबूक खरीद इसका संधारण कर रहे हैं और पुराने रिकॉर्ड के अभाव में पंचायत के कामों में दिक्कत आ रही है।
14 वां वित्त सहित अन्य योजनाओं में फर्जीवाड़े का आरोप..
वर्तमान सरपंच ने पूर्व सचिव पर 14 वां वित्त आयोग की राशि में फर्जीवाड़े का भी आरोप लगाया है,उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत अब तक लाखों रुपये पंचायत को मिल चुके हैं लेकिन काम कुछ भी नहीं दिखता है।आचार संहिता के समय तो उनके द्वारा अधिकारियों से सांठ गांठ कर कई लाख रुपये फर्जी फर्मों के नाम से आहरण कर लिया है।उन्होंने कहा कि अब तक आई राशि से कागजों में हुए कामों की जांच हो जाये तो सब कुछ सामने आ जायेगा।उन्होंने 14 वां वित्त में हुए फर्जीवाड़े की शिकायत जिला प्रशासन से करने और जांच कराने की बात कही।