अम्बिकापुर

मासिक स्वच्छता प्रबंधन पर कार्य कर रहे विभिन्न समूहों का एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न

अम्बिकापुर/ मासिक स्वच्छता प्रबंधन पर कार्य कर रहीं सरगुजा जिले के विभिन्न समूहों का एक दिवसीय प्रशिक्षण कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग एवं 40 की संख्या में आयोजित की गई, जिसमें अम्बिकापुर, लुंड्रा एवं बतौली के समूहों ने प्रशिक्षण लिया, इस अवसर पर उन्हें माहवारी के दौरान स्वच्छता की जरूरत, माहवारी स्वछता प्रबंधन पर जागरूकता कार्यक्रम की आवश्यकता, कपड़े का उपयोग कैसे हो तथा सैनेटरी पैड की जरूरत क्यों? सैनेटरी पैड का विक्रय कर कैसे आर्थिक रूप से समूह की महिलाएं सशक्त बन सकते हैं जैसे विभिन्न विषयों को लेकर प्रशिक्षण में अलग-अलग विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण को संबोधित किया तथा प्रशिक्षणार्थियों के सवाल का जवाब दिया।
इस दौरान प्रोजेक्ट ईज्जत के संयोजक एवं पार्षद श्रीमती संध्या रवानी ने माहवारी के दौरान स्वच्छता की जरूरत क्यों है, इस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि माहवारी को लेकर समाज में काफी झिझक है, महिलाएं इस विषय पर स्वयं के घर पर चर्चा नहीं करती, जिसके कारण काफी समस्याओं और संक्रमण रोगों का शिकार होना पड़ता है। इसके प्रति झिझक को दूर करने में हमारी संस्था ने संभाग के गांवों में आप सब के बीच काफी चर्चा की है, जिसके बाद आज आप लोगों की उपस्थिति यह बताती है कि हम सब जागरूक हो रहे हैं, आईये मिलकर इसके प्रति सभी को जागरूक करें और माहवारी पर सार्वजनिक चर्चा की शुरुआत करें।प्रशिक्षण को सम्बोधित करते हुए जन शिक्षण संस्थान के डायरेक्टर एम. सिद्दीकी ने समूह की अवधारणा, संगठन का महत्व एवं एकजुटता से कैसे कार्य करें, इस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि समूह का फेल होने का 90% कारण उनके द्वारा बचत न करना, जो समूह किसी कार्य में लगे हुए हैं वो तो कुछ न कुछ बचत कर रहे हैं, किन्तु जो कोई भी कार्य नहीं कर रहे उन्होंने समूह का मूल कार्य और उद्देश्य जो है बचत करना उसे उन्होंने छोड़ दिया है, केवल नाम के समूह बनकर रह गये हैं साथ ही समूह में एकजुटता की कमी है, 2-4 लोग यदि कार्य करने वाले होते हैं तो बाकी के पास समय नहीं होता, जिसके कारण आपसी सामंजस्य स्थापित नहीं होने से समूह का अस्तित्व लगभग समाप्त हो जाता है। संगठित होकर कैसे कार्य करें एवं एकजुटता क्यों जरूरी है, इस पर कई सफल समूहों की कहानी द्वारा महिलाओं को जानकारी दी। प्रोजेक्ट ईज्जत की ग्रामीण संयोजक पवित्रा प्रधान ने समूहों को बैठक का महत्व, कैसे एक दूसरे की मदद करें एवं छोटी-छोटी बचत कैसे की जा सकती है, इस पर प्रकाश डाला।
सरगुजा साइंस ग्रुप के संस्थापक अंचल ओझा ने माहवारी स्वच्छता प्रबंधन पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सबसे पहले तो हमें महिलाओं और लड़कियों को माहवारी के दौरान स्वच्छता हेतु जागरूक करना है, इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्र, समूह की बैठकें, गोठान, स्कूल और कॉलेज जैसे स्थलों पर सार्वजनिक चर्चा करानी होगी, इसके बाद गांव और मोहल्ले-टोलों में बैठकर इस पर चर्चा कीजिये। इस विषय में ग्रामों के दीवारों पर नारा लेखन कराइये, मासिक स्वच्छता को लेकर जानकारी दीजिये। किन्तु उससे पहले आपको इसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए, एक तरह का यह एक मास्टर ट्रेंनिग है ताकि फील्ड में जाकर आप कार्य कर सकें। संस्था के माध्यम से आपको कई तरह के पम्प्लेट उपलब्ध कराई जा रही है, जिसमें एक महिला एवं लडक़ी के माहवारी को लेकर हर सवाल का उत्तर है, साथ ही माहवारी के दौरान स्वच्छता को लेकर सचेत नहीं होने पर कौन-कौन से बीमारी हो सकती है अथवा संक्रमण हो सकता है, उस पर विशेषज्ञों की क्या राय है और देश एवं राज्य के आंकड़े क्या हैं, सब कुछ बताया गया है, साथ ही कपड़े एवं सैनेटरी पैड का उपयोग कैसे हो और उसका निस्तारण कैसे करें यह भी बताया गया। यह पूरी जानकारी आपको होने पर ही आप इस पर फील्ड में चर्चा कर सकते हैं। हमारा प्रयास है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 5-10 गांव के बीच में विशेषज्ञ चिक्तिसकों को भी लेकर पहुंचे, कई स्थानों पर ऐसे कार्यक्रम हुए हैं और प्रयास है कि ऐसे कार्यक्रम ज्यादा हों। आप सभी का सहयोग रहेगा तो आगे हमारा प्रयास होगा कि कम से कम हर गांव में बेहतर कार्य करें और महिलाओं की इस समस्या का वाजिब हल विशेषज्ञों के माध्यम से देने में सफल हों। इस दौरान 100℅ एमएचएम युक्त ग्राम पंचायत का जिला स्तर का पुरस्कार प्राप्त करने वाले ग्राम पंचायत दोरना के समूह की महिलाओं ने भी अपने अनुभव सांझा किये तथा सरगुजा साइंस ग्रुप के साथ मिलकर विगत एक वर्ष से ग्राम पंचायत में किये जा रहे विभिन्न कार्यों एवं अनुभवों की जानकारी दी। इस दौरान सरगुजा साइंस ग्रुप से अमित दुबे, राज सोनी, जेएसएस से रमेश कुमार व अम्बिकापुर, लुंड्रा एवं बतौली ब्लॉक के समूह की महिलाएं उपस्थित थी।

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