कोरबा

वनपरिक्षेञ केंदई में फिर एक नन्हे हाथी शावक की दर्दनाक मौत…पूरे वन अमले सहित डीएफओ घटना स्थल पर रहीं मौजूद

अरविंद शर्मा, हिंद शिखर न्यूज़ कटघोरा: अपनी कार्यशैली को लेकर सुर्खियों में रहने वाला कटघोरा वन मण्डल एक बार फिर हाथी की मौत पर सुर्खियां बटोर रहा है। वनपरिक्षेञ केंदई के ग्राम लालपुर में एक नन्हे हाथी शावक की तालाब नुमा खेत मे डूब कर दर्दनाक मौत हो गई है।इस घटना ने पूरे वनमंडल सहित रेंज अधिकारियों की कार्यशैली पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है, आखिरकार एकाएक इस तरह लगातार हाथियों की मौत क्यो हो रही है?घटना की जानकारी मिलते ही कटघोरा वनमंडलाधिकारी शमा फारूकी सहित एसडीओ अरविंद तिवारी,केंदई रेंजर अश्वनी चौबे सहित बड़ी संख्या में अधिकारी वनकर्मी घटना स्थल पर पहुँचे।

कटघोरा वनमंडल के अधीनस्थ वनपरिक्षेञ केंदई के ग्राम लालपुर घुचापुर में घने जंगलों के बीच तालाब नुमा खेत मे बीती रात्रि फिर एक नन्हे नर हाथी शावक की पानी मे दुब कर मौत हो गई है।स्थानीय ग्रामीण ने बेबी एलिफेंट के मौत की सूचना वन अमले को दी थी,सूचना मिलते ही कटघोरा वनमंडलाधिकारी शमा फारूकी भी बीहड़ जंगलो में पूरे वन अमले सहित पहुँची और पूरे घटना स्थल का जायजा लेकर बेबी एलिफेंट के मौत कारण जानने की कोशिश की,पर जैसे हालात घटना स्थल पर नजर आ रहे थे उनसे तो यही प्रतीत हो रहा था जैसे यह घटना भी पूर्व की भांति एक नेचुरल घटना ही है,पर एकाएक बिना पीएम रिपोर्ट आये नेचुरल घटना कह देना भी सार्थक नही होगा।

वनपरिक्षेञ केंदई के अंतर्गत ग्राम लालपुर का वन छेत्र बीहड़ जंगलो के साथ पथरीली चट्टानों से आच्छादित है।यहाँ घने जंगलों के बीच गाड़ी जाना तो दूर पैदल चलना तक दूभर है।ऐसे घने वनों में भी वन रक्षक अपनी परवाह किये बगैर अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाते हैं,जैसे ही वन अमले को इस दुखद घटना की जानकारी मिली,तत्काल वन अमला हरकत में आया और वनमण्डलाधिकारी शमा फारूकी के निर्देशन पर एसडीओ अरविंद तिवारी की अगुवाई में रेंजर अस्वनी चौबे सहित बड़ी संख्या में वनकर्मी घटना स्थल के लिए रवाना हो गए।बीहड़ जंगलो के बीच कठिनाइयों भरा सफर तय करते हुए वन अमला कुछ दूर शासकीय वाहनों की मदद से पहुँचा और फिर आगे का पथरीला व कीचड़ नुमा मार्ग पैदल तय कर उस स्थान पर पहुँचा, जहां नन्हे हाथी शावक की तालाब नुमा खेत मे डूब कर दर्दनाक मौत हो गई थी।यह पूरा इलाका अपने आप मे बेहद ख़ौफ़नाक मंजर बया कर रहा था,जहाँ जंगल के बीच मे नन्हे हाथी शावक की मौत हो गई और घटना स्थल के कुछ दूरी पर दो टुकड़ी में विभाजित हाथियों के दल की मौजूदगी, वन अमले को भी एक डर के साये में लपेटे हुए था।घटना स्थल के चारो ओर आग जलाकर संकेत तैयार किये गए तथा कुछ दूरी पर मौजूद हाथियों के दलों पर ड्रोन कैमरे से कड़ी नजर भी रखी जा रही थी। ऐसी विषम परिस्थितियों में वनमंडलाधिकारी शमा फारूकी सहित पूरा वन अमला अपनी जान जोखिम में डाल कर कई घण्टो की मशक्कत के साथ शव का पीएम करके विधिवत शावक का अंतिम संस्कार कर वन अमले ने बखूबी अपनी जिम्मेदारियों का वहन किया है।

*आखिकार लगातार क्यो हो रही हाथियों की मौत*

कटघोरा वनमंडल में आखिरकार लगातार हाथियों की मौत से वनमंडल पर सवालिया निशान तो खड़ा होना लाजमी है।किस तरह वन मण्डल अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहा है जो हाथियों की मौत क्यो हो रही,यह समझ पाने में असमर्थ है।आखिर कहा है विभाग के वो बड़े बड़े दावे जो वन्यप्राणियों की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं।हाथी एक अच्छे तैराक के रूप में भी माने जाते हैं फिर पानी में डूब कर हाथी मौत हो जाना समझ से परे है।नन्हे शावकों के मौत की ये घटनाये सहज या नेचुरल नही मानी जा सकती दोनों ही घटनाये सेम रही ,मुह से ब्लड निकलना भी साफ नजर आ रहा था।बड़ी आसानी से विभाग पानी मे डूबने या नेचुरल डेथ का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेता है।विभागीय सूत्रों का दावा है कि नन्हे शावकों को अक्सर निमोनिया भी हो जाता है, इस स्थिति में शावक अपना मानसिक नियंत्रण खो देते हैं और वे इधर उधर भटकने पर मजबूर हो जाते हैं ऐसी परिस्थितियों उन्हें अहसास तक नही होता कि वे क्या कर रहे हैं।क्या इन शावकों में निमोनिया जैसे लक्षण तो नही थे जो विभागीय अमले को भनक तक नही लगी और दो नन्हे शावकों ने अपनी जान गवा दी।

आएदिन हाथियों का झुंड ग्रामीण बस्तियों की ओर रुख कर रहा है और कई बार जनहानि भी देखने को मिली है।क्या जंगलो में वन्यप्राणियों के लिये वे तमाम विभागीय सुविधाएं मुहैया नही है जो वनमंडल बड़े बड़े दावो के साथ कहता है कि हमने वन्यप्राणियों के लिए तालाबो का निर्माण करवाया है हमने वन्यप्राणियों के लिए एनीकट बनवाये हैं हमने वनों में फलदार
वृक्ष लगवाए है फिर वन्यप्राणी एकाएक जंगलो से गावो में प्रवेश क्यो कर रहे यह भी एक बड़ी समस्या है।

कटघोरा वनमंडल में लगातार हाथियों की मौत हो रही है।मौत किस कारण हो रही ये तो अभी भी स्पष्ट नही है।पर इतना तो तय है कि दो नन्हे शावकों की मौत ने वन अमले की नींद उड़ा दी है,हर बार नेचुरल डेथ बताकर आखिर विभाग कब तक पल्ला झाड़ अपनी कार्यशैली बया करता रहेगा। ग्रामीण बताते हैं कि कई दिनों से हाथियों का दल गावो के आसपास मंडरा रहा है पर वनकर्मी नही आते और कभी आ भी गए तो बस दूर से देख कर चले जाते हैं।हमे विभाग से किसी तरह के सुरक्षा उपकरण भी उपलब्ध नही करवाये जाते,हम गाव के लोग बेहद डर के साये में अपना जीवन यापन करते हैं।हाथी हमारी फसलो को भी भारी नुकसान पहुचाते है और विभाग से समय पर मुआवजा भी नसीब नही होता।हमारे घरों को भी हाथी निशाना बना लेते हैं और देखते ही देखते मलबे में तब्दील कर देते हैं। ग्रामीण यहाँ तक बताते हैं कि जब गावो में हाथी आते हैं तो वनकर्मी मौके पर पहुचकर केवल तमाशबीन बन कर नजारे का लुफ्त उठाते हैं और हमे आगे कर दिया जाता है।

अब ऐसी परिस्थितियों में आखिर वनमंडल कब सबक लेगा और हाथियों की मौत रोकने पर क्या सख्त कदम उठाएगा ये देखने वाली बात होगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button