अम्बिकापुर

जान चली जाए लेकिन लेमरू हाथी परियोजना की सहमति नहीं देंगे, लखनपुर-उदयपुर क्षेत्र में परियोजना का विरोध शुरू

अमित श्रीवास्तव हिंद शिखर न्यूज़ अंबिकापुर छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना हाथी कोरीडोर परियोजना लेमरू का विकासखंण्ड उदयपुर एवं लखनपुर में पुरजोर विरोध प्रारंभ हो गया है। विदित हो की कांग्रेस सत्ता में आई उसी समय हाथीयों के रिजर्व एरिया के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लेमरू हाथी परियोजना की घोषणा की उस समय भी लोगों ने सभायें आयोजित कर इस परियोजना का विरोध किया था। इसी बीच करोना का संकट काल आया और यह परियोजना ठंडे बस्ते मे चली गई । परन्तु 2 अक्टूबर को ग्राम सभा का आयोजन की सूचना आई और सचिवों को आवश्यक रूप से ग्राम सभा आयोजित करने का आदेश मिला, वहीं वन विभाग को आदेषित किया गया कि वो ग्राम सभा में जाकर हाथी लेमरू परियोजना की जानकारी लोगों को दी और समझाइस भी दी कि लोगों को विस्थापित नहीं किया जाएगा सिर्फ हाथी के लिए गांव की सीमा में घेराव किया जाएगा। जैसे ही वन विभाग के कर्मचारियों ने गांव में आकर बताना शुरू किया लोग आक्रोशित होते चले गये और उन्होंने कहा कि यदि ऐसा ही शासन चाहती है, तो हम ग्राम सभा में सहमति का प्रस्ताव किसी भी हाल में नहीं देगें चाहे हमारी जान ही क्यों न चली जाये, लोगों ने यह भी कहा कि यदि सरपंच सचिव हमारी मर्जी के खिलाफ शासन के दबाव में आकर सहमति प्रदान करते हैं तो उन्हें इस गलती का दंड भुगतने के लिऐ तैयार रहना चाहिए। ग्राम सभा का आयोजन लेमरू प्रोजेक्ट के लिए मतरिंगा, सितकालो, बुले, भकुरमा, पनगोती, बडे गांव, मरेया, कुडेली, बकोई, पेंण्डरखी, खूझी, सायर कुमडेवा, जिवालिया बिनिया, अरगोती, ढोढा केसरा, पटकुरा, जैसे अनेक सीमावर्ती एवं पहाडी इलाकों में किया गया था। सभी ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों ने एक स्वर में यही कहा कि हम किसी भी हाल में अपने क्षेत्र में इस परियोजना को लागू नहीं होने देगें। एवं अंतिम सांस तक लड़ते रहेगें। ग्रामीणों का यह भी कहना था कि इधर कभी कमार कुछ हाथी आते हैं। और चले जाते है। लेकिन परियोजना बनने के बाद सरकार पूरे प्रदेष के हाथीयों को लाकर यहां छोड देगी और हाथी तार के एक घेरे को अपनी सीमा बना कर गांवों में ही घुसेगें ऐसा नही हो सकता लोगों ने कहा कि हमारे पास गाय भैंस बकरी जैसे पालतू जानवर होतें हैं जिन्हे हम जंगल में ही चराते हैं लेकिन हाथीयों के आने के बाद अन्य पशुओं को चारा पानी नहीं मिल पाएगा। 2 अक्टूबर के बाद लगातार गांव में बैठकों का दौर जारी हैं। वहीं वन विभाग भी सक्रिय है, संरपच सचिवों की बैठक भी आला अफसर ले रहें हैं। इसी तारतम्य मे 30 गांव के जनप्रतिनिधियों की बैठक ग्रांम केदमा में भी 5 अक्टूबर को क्षेत्रीय नेता विनोद हर्ष की उपस्थिति मे आयोजित किया गया, जिसमें सभी ग्रामीणों ने कहा कि हम सरकार की मंषा को सफल नहीं होनें देगें क्यों कि हाथीयों के आने के बाद लोग स्वंय घर छोड़ भागने को मजबूर होगें, केदमा में हुये बैठक में विनोद हर्ष सरंपच कृतिका सिंह, जनपद सदस्य सज्जू सिंह, पूर्व जनपद सदस्य प्रेम सिंह, शिक्षक रामलाल सिंह, के.सी. चैहान, आशोक अग्रवाल, सुनील अग्रवाल, बृजेश चतुर्वेदी, श्रीनाथ सिंह, महेश्वर सिंह, अशोक दास लखन यादव, दिनेश सिंह, गुलाब सिंह, सहित सभी पंच गण तथा सैंकड़ो की संख्या में ग्रामीण जन उपस्थित रहें। लोगो ने एक स्वर में कहा कि वन विभाग की समझाईश बेकार है, तथा हम किसी के दबाव में नही आयेगें और सरकार द्वारा निर्मित इस विषम परिस्थिति का डटकर मुकाबला करेगें।

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