“पढ़ाई तुहर द्वार” शिक्षा पद्धति असफल अब लाउडस्पीकर से बच्चों को पढ़ाएंगे प्रदेश के मिडिल और प्राइमरी स्कूल के शिक्षक…2 दिन के अंदर सभी ग्राम पंचायतों में करें इंतजाम…प्रमुख सचिव के सख्त निर्देश
रायपुर- देश में आजादी के बाद से शिक्षा को लेकर लगातार प्रयोग हो रहे है वर्तमान में कोरोना महामारी के दौर में शिक्षको को ऑनलाइन क्लास लेने के निर्देश दिए गए थे शिक्षक ऑनलाइन क्लास ले ही रहे थे कि अचानक से शुक्रवार को स्कूल शिक्षा विभाग की राज्य स्तरीय आन लाइन बैठक पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय हो गई। शिक्षा सचिव आलोक शुक्ला के निर्देश से विभाग में हड़कंप मच गया है। उन्होंने 2 दिनों के अंदर प्रदेश के सभी 12000 ग्राम पंचायतों में लाउडस्पीकर स्कूल शुरू करने के लिए निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही प्रदेश के लगभग 40 हजार प्राइमरी मिडिल स्कूलों के शिक्षकों को गांव में जाकर स्कूलों की बजाए समुदाय की भागीदारी से मोहल्ला स्कूल लगाने के लिए निर्देश दिया है।डॉ आलोक शुक्ला ने इस आन लाइन मीटिंग में इशारों इशारों में उन्होंने कह दिया जो शिक्षक के इस कार्य में रुचि नहीं लाएंगे शासन की भी उनमें रुचि नहीं होगी।उन्होंके डेटा बेस से कार्यो की समीक्षा जारी रहेगी परिणाम नही मिलने पर खामियाजा भुगतने तैयार रहने कह दिया। स्कूल शिक्षा सचिव ने शत-प्रतिशत लक्ष्य सोमवार तक हासिल करने के लिए समय दिया है।
प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला ने कहा लॉकडाउन ग्रामीण क्षेत्रों में लागू नहीं है शिक्षक वहां जाकर बच्चों को पढ़ाएं।बिना संसाधनों के मोहल्लों में जाकर के कोरोना एस ओ पी का पालन करते हुए मोहल्ला स्कूल लगाना और गांव में जन सहयोग से लाउडस्पीकर के माध्यम से पढाई कराना विभाग के अमले एव शिक्षको के लिए टेढ़ी खीर होगी।
महामारी के संक्रमण के समय इस प्रकार के निर्देश को लेकर विभागीय अमले में संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई है। हजारों की संख्या में पढ़ई तुंहर द्वार अभियान अंतर्गत ऑनलाइन क्लासेस ले रहे हैं शिक्षकों में भ्रम की स्थिति हो गईं है। मोबाइल के माध्यम से क्लास लेने के साथ साथ अब शिक्षकों को गांव और मोहल्ले में जाकर एवं लाउडस्पीकर का इंतजाम करके अध्यापन का कार्य भी करना होगा।
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