अम्बिकापुर

क्या सैनिक रामकुमार ने सरगुजा की राजनीति में करेंट ला दिया है ??

/अंबिकापुर/
नामांकन के आखिरी दिन 30 अक्टूबर को अंबिकापुर में हुए भाजपा प्रत्याशियों की संयुक्त नामांकन रैली और आमसभा में सीतापुर विधानसभा के युवा भाजपा प्रत्याशी पूर्व सैनिक रामकुमार के भाषण की इन दिनों बड़ी चर्चा है। युवाओं से उनका कनेक्शन और पूरी रैली में उनके लिए लग रहे नारों ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। मीडिया के लोगों का भी ये मानना है कि युवाओं में पूर्व सैनिक रामकुमार को लेकर ग़ज़ब की दीवानगी है। आख़िर क्या है ऐसा जिसने एक साधारण से गांव के युवा को यूथ आइकॉन बना दिया !! वी आर एस लेकर एक सैनिक से भाजपा प्रत्याशी बने सीतापुर के ग्राम कोटछाल निवासी रामकुमार टोप्पो की कहानी वर्तमान राजनीति को बदलने का संकल्प लेकर निकले किसी फिल्मी नायक जैसी लगती है। चुनाव आचार संहिता लगने के दो महीने पहले ही सीतापुर विधानसभा के युवाओं ने उन्हें खून से पत्र लिखकर बॉर्डर से चुनाव लड़ने के लिए विशेष रूप से बुलवाया था इस बात पर यकीन करना मुश्किल है परंतु ये सच है। सीतापुर के युवाओं के आह्वान पर पूर्व सैनिक रामकुमार न केवल सेना की नौकरी छोड़कर आए बल्कि गांव गांव जाकर उन्होंने युवाओं के साथ तिरंगा यात्रा भी निकाली जिसमें उमड़ी हज़ारों की भीड़ ने उन्हें खुद ही पांच बार के विधायक अमरजीत के खिलाफ़ प्रत्याशी बना दिया। जब कॉंग्रेस के अभेद गढ़ व मंत्री अमरजीत भगत के एक छत्र राज वाले सीतापुर विधानसभा में भाजपा अपने प्रत्याशियों को लेकर नाम तय नहीं कर पा रही थी ऐसे में एक युवा पूर्व सैनिक का भाजपा में आना बीजेपी के लिए बिन मांगे मुराद मिलने वाली बात ही कही जाएगी। जशपुर में आयोजित भाजपा की आम सभा में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने जब रामकुमार टोप्पो तथा हज़ारों की संख्या में आए उनके समर्थकों को भाजपा में प्रवेश कराया तभी ये तय हो गया था कि सीतापुर में भाजपा के प्रत्याशी रामकुमार ही होंगे। सीतापुर के आम लोगों की मानें तो सीतापुर विधानसभा में ऐसा प्रत्याशी पहले कभी नहीं आया जिसके पीछे निःस्वार्थ रूप से युवा वर्ग इतना पागल हो। बीजेपी की अंबिकापुर आमसभा में रामकुमार टोप्पो 14 फरवरी को पुलवामा की आतंकी घटना में शहीद हुए जवानों का अपमान करने का आरोप मंत्री अमरजीत भगत पर लगाते हुए जो बात कह गए उसका समर्थन करते युवा दिख रहा है। नामांकन रैली में भाजपा के पदाधिकारी कार्यकर्ताओं को रामकुमार टोप्पो से ज़बर्दस्त ऊर्जा मिल रही थी ये साफ देखा जा सकता था। तो क्या ये माना जा सकता है कि सैनिक रामकुमार ने न केवल सरगुजा भाजपा बल्कि सरगुजा की राजनीति में ही करेंट ला दिया है ?? वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य तो यही बयां कर रहे हैं। विभाजित सरगुजा जिले में आने वाले तीनों विधानसभा अंबिकापुर, लुण्ड्रा तथा सीतापुर के राजनीतिक इतिहास पर नज़र डालें तो जनसंघ व भाजपा मिलाकर अंबिकापुर तथा लुण्ड्रा दोनों सीटों पर केवल तीन तीन बार ही पार्टी जीत पाई है और इसमें सीतापुर जीतना तो आज भी चुनौती है। पिछले तीन विधानसभा चुनावों से तीनों विधानसभा में मिल रही लगातार हार से उबरने के लिए बीजेपी को भी सरगुजा में किसी संजीवनी की तलाश थी। तो क्या राजकुमार टोप्पो बीजेपी के वो भागीरथी होंगे जिनकी युवा ऊर्जा के सहारे इस बार सरगुजा में परिवर्तन की गंगा बहेगी !! यदि मीडिया रिपोर्ट की मानें तो सीतापुर से रामकुमार को प्रत्याशी बनाने का प्रभाव अंबिकापुर और लुण्ड्रा विधानसभा में भी पड़ेगा जिसका लाभ अंबिकापुर प्रत्याशी राजेश अग्रवाल तथा लुण्ड्रा प्रत्याशी प्रबोध मिंज को भी जरूर मिलेगा। सीतापुर विधानसभा की बात करें तो सीतापुर कॉंग्रेस की वो सीट है जहाँ से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लहर में भी पिछले लोकसभा चुनाव में कॉंग्रेस को बढ़त मिली है। मंत्री अमरजीत भगत लगातार पांच बार यहां से विधायक रहे हैं यदि इस बार वो जीते तो कॉंग्रेस के वरिष्ठतम विधायकों में वो शुमार होकर एक कीर्तिमान बनाएंगे परंतु राजनीतिक परिस्थितियाँ इस बार उनके अनुकूल दिखाई नहीं दे रही। 
बहरहाल, 17 नवंबर को सरगुजा की आम जनता वोट डालकर प्रत्याशियों के किस्मत का फैसला करेगी। देखना है सरगुजा की जनता परिवर्तन चाहती है या अभी भी कॉंग्रेस उनकी पसंद है। 


✍आलेख-
  संतोष दास सरल
राजनीतिक विश्लेषक।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button