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केंद्रीय कर्मचारियों एवं पेंशन धारियों के महंगाई भत्ता मामले में दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला…. पढ़ें विस्तृत रिपोर्ट

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के कर्मचारियों एवं पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते में वृद्धि को लेकर केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्रीय कर्मचारी संगठनों द्वारा लगाई गई याचिका पर अपना निर्णय सुना दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय कर्मचारियों की याचिका पर फाइनल डिसीजन देते हुए पिटीशन को डिस्मिस कर दिया है।

महंगाई भत्ते में वृद्धि आदेश के बाद कोरोना के नाम पर भुगतान रोक दिया था

दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के साथ-साथ सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता (डीए) जारी करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की याचिका खारिज कर दी है। केंद्र सरकार ने गत जनवरी 2020 में केंद्रीय कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्‍ते में बढ़ोतरी का आदेश दिया था लेकिन मार्च में कोरोना संकट के चलते घोषित किए गए देशव्‍यापी लॉकडाउन के बाद इस डीए के भुगतान पर रोक लगा दी गई थी। यह रोक जून 2021 तक के लिए लगाई हुई है। याचिका में इस तरह की अधिसूचना को वापस लेने की भी मांग की गई थी।

महंगाई भत्ते में वृद्धि के भुगतान की समय सीमा को लेकर कोई कानून नहीं: हाई कोर्ट

कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी है कि महंगाई भत्ते में हुए इजाफे की राशि को जारी करने की समयसीमा को लेकर कोई कानून नहीं है। ऐसे में केंद्र सरकार को किसी भी नियम के तहत इस मामले में कोई आदेश नहीं दिया जा सकता है। लिहाजा केंद्रीय कर्मचारियों के डीए में हुए इजाफे के भुगतान पर रोक के खिलाफ दायर याचिका निरस्‍त कर दी गई है।

ऑल इंडिया सर्विसेज (महंगाई भत्ता) नियम 3 कर्मचारियों नहीं सरकार को अधिकार देता है

आदेश में इस याचिका को खारिज करते हुए, अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार पर कानून में कोई बाध्यता नहीं थी कि वह समयबद्ध तरीके से महंगाई भत्ते में वृद्धि को रोकती। उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है, “उपरोक्त उल्लिखित ऑल इंडिया सर्विसेज (महंगाई भत्ता) नियम के नियम 3, केंद्र सरकार के अधिकारियों द्वारा जिन शर्तों के अधीन महंगाई भत्ता भुगतान किया जा सकता है, उसे रखने के लिए केंद्र सरकार को ही अधिकार देता है।”

जनहित याचिका की सुनवाई में अदालत ने दिया इस नियम का हवाला

यह आदेश एक जनहित याचिका की सुनवाई के बाद सामने आया है, जिसमें केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों के वित्त मंत्रालय को निर्देश जारी करने की मांग की गई है ताकि सरकारी कर्मचारियों के बढ़े हुए महंगाई भत्ते को फ्रीज करने के बारे में अधिसूचना वापस ली जा सके और मानदंडों के अनुसार इसे जारी किया जा सके। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की खंडपीठ ने कहा कि केंद्र सरकार पर समयबद्ध तरीके से महंगाई भत्ता / महंगाई राहत में वृद्धि को रोकने के लिए कानून में कोई बाध्यता नहीं है।

कर्मचारियों का महंगाई भत्ता भुगतान शर्तों के अधीन होता है

अदालत ने आगे कहा कि अखिल भारतीय सेवाओं (महंगाई भत्ता) के नियम 3 में केंद्र सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि केंद्र सरकार के अधिकारियों द्वारा महंगाई भत्ते की शर्तों के अधीन शर्तें रखी जाए। केंद्र सरकार के विवादित कार्यालय ज्ञापन (ओएम) में कहा गया है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों और महंगाई राहत के कारण केंद्र सरकार के पेंशनरों को 01.01.2020 से देय महंगाई भत्ते का भुगतान नहीं किया जाएगा।

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