प्रभारी मंत्री एक्शन मोड में भ्रष्टाचार के आरोपी सीईओ पर लटकी निलंबन की तलवार
जशपुर- तत्कालीन फरसाबहार जनपद सीईओ सुभाष चंद्र कुशवाहा के विरुद्ध केरसई क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने खासकर जिला पंचायत सदस्य विष्णु कुलदीप ने जो गंभीर सवाल उठाये थे उसका असर अब दिखना शुरू हो गया है। इस पूरे मामले में प्रभारी मंत्री अमरजीत भगत भी अब एक्शन मोड में आ गए हैं। श्री भगत ने इस सम्बन्ध में सरगुजा कमिशनर को पत्र लिखा है कि सीईओ कछवाहा को निलंबित कर जाँच समिति का गठन कर उपरोक्त सभी आरोपों की बिंदुवार जाँच की कार्यवाही करें।
ज्ञात हो कि विष्णु कुलदीप ने प्रधानमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री कार्यालय सहित आला जांच एजेंसियों व प्रशासनिक अमले को पत्र लिखकर इस मामले में जांच की मांग की थी। श्री कुलदीप का कहना है कि जिस प्रकार की जानकारी मिली है उसके मुताबिक सीईओ कछवाहा करोड़ों के नामी-बेनामी संपत्ति के मालिक हैं। क्या एक जनपद सीईओ के द्वारा इतनी बड़ी राशि अपने जीवन काल में इमानदारी के साथ कमाई जा सकती है?
उन्होंने प्रधानमंत्री सहित अन्य को पत्र लिखते हुए मांग की है कि सीईओ सुभाष चंद्र कछवाहा की नियुक्ति से लेकर अब तक वेतन के रूप में उन्हें शासन से प्राप्त राशि की जांच की जानी चाहिए। यह कि सुभाष चंद्र कछवाहा का स्थाई निवास रायगढ़ है। उनका कहना है कि विश्वास सूत्रों के अनुसार रायगढ़ में इनका सुजुकी मोटर साइकिल का शोरूम, केटीएम मोटरसाइकल का शोरूम, मिनरल वॉटर फैक्ट्री,जूस फैक्ट्री, किराये की मकानों की दो कालोनियाँ एवं स्वयं का आलीशान मकान है। उनका कहना है कि उक्त बेनामी सम्पति श्री कछवाहा ने सीईओ के पद पर रहते हुए भ्रष्ट आचरण कर शासकीय योजनाओ की राशि से पाँच प्रतिशत की कमीशन से अर्जित की है और आज की स्थिति में उनकी लगभग 50 करोड़ से अधिक की संपत्ति बताई जा रही है जो जांच का विषय है। श्री कुलदीप का कहना है कि कछवाहा ने पत्थल गांव में सीईओ के रूप में पदस्थ रहने के दौरान विधानसभा चुनावों के समय निशक्त जनों के वोट डालने की सुविधा के लिए विल चेयर खरीदी थी। यह चेयर बाजार में ₹4600 के आसपास मिलती है परंतु चेयर को ₹12000 में खरीदा गया। इस राशि को पंचायतों को जबरन धमकी देकर वसूला गया। कुछ जनप्रतिनिधियों के द्वारा यह राशि देने से इंकार करने की स्थिति में सीईओ का इनके साथ विवाद हुआ। इस कुर्सी खरीद में सीईओ कछवाहा द्वारा किया गया भ्रष्टाचार जांच का विषय है। जनपद पंचायत में जनपद के माध्यम से ग्राम पंचायतो को दी जाने वाली राशि का 5% कमीशन के तौर पर सचिवों के माध्यम से वसूल आ जाता है। राशि देने से इनकार करने वाले सचिवों के साथ गाली गलोच कर उन्हें जेल भेजने की धमकी भी दी जाती है। विवश होकर सचिवों को राशि का आहरण कर सीईओ श्री कछवाहा को देना पड़ता है। विभिन्न योजनाओं के लिए शासन से दी जाने वाली राशि युक्ति युक्त रुप से निर्माण कार्यो में खर्च की गई है अथवा नहीं यह भौतिक जाँच किये जाने का विषय है।
जनपद पंचायत फरसाबहार के अंतर्गत ग्राम पंचायतों में सचिवों की पदस्थापना सीईओ द्वारा मनमाने ढंग से पैसे लेकर की गई है साथ ही इनके द्वारा जिले के प्रशासनिक अधिकारीयों एवं शासन के लोगों के पास पहुँच की धौंस दिखाकर धमकाया जता है। ऐसा अनुमान है कि इन्हें प्रसाशनिक अधिकारी व कुछ जनप्रतिनिधियों का भी संरक्षण प्राप्त है। इनके द्वारा किसी भी जनपद सदस्य अथवा जिला पंचायत सदस्य को किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं दी जाती है। उन्होंने सीईओ पर छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम के विपरीत कुछ नामचीन सचिवों एवं कर्मचारियों को अपने पूरे जनपद पंचायत के अंतर्गत चहेता बनाकर रखा होने का आरोप लगाया था। उनक़्क़्क़ कहना है कि अपने चहेते लोगों के माध्यम से जनप्रतिनिधियों की गतिविधि सीईओ तक पहुँचती है। जिसके एवज में इन सचिवों को अवैध लाभ दिलाने की नियत से पुरस्कार के तौर पर कई पंचायतों का अतिरिक्त प्रभार दे दिया जाता था। इन पंचायतों में बिना निर्माण के फर्जी दस्तावेज तैयार कर राशि आहरित कर ली जाती थी जो जाँच का विषय है।
सीईओ श्री कछवाहा की पदस्थापना के दौरान प्रत्येक पंचायत में कराये गए निर्माण कार्यों की जाँच किये जाने की मांग की है। साथ ही इनके कॉल डिटेल का ब्यौरा निकालकर चल-अचल संपति की जाँच आईएएस स्तर के अधिकारीयों की समिति गठित कर इनके ऊपर लगाये गए सभी आरोपों की जाँच की जानी चाहिए तथा आरोप सही पाये जाने पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनयम के तहत कार्यवाही किये जाने की माँग की गई थी।