छत्तीसगढ़राज्यसरगुजा संभागसूरजपुर

आखिर सरकार कर्मचारियों के लिए ऐसे कठोर निर्णय कैसे ले सकती है…कर्मचारियों की वेतनबृद्धि पर रोक अव्यवहारिक:रंजय सिंह

पोड़ी मोड़-प्रतापपुर।छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष संजय शर्मा, प्रदेश महामंत्री रंजय सिंह, प्रदेश प्रचार सचिव अजय सिंह,जिला संयोजक मुकेश मुदलियार, सूरजपुर जिलाध्यक्ष भूपेश सिंह, जिला महामंत्री गौरी शंकर पाण्डेय,जिला पदाधिकारी सुरविन्द गुर्जर,चन्द्रविजय सिंह,नंद किशोर साहू,राजेन्द्र नायक,रामचंद्र सोनी इन्द्रबली कुशवाहा,भागवत सिंह,विनोद प्रजापति,उत्तम चन्द्र गुर्जर,नागेंद्र सिंह,चन्द्र देव चक्रधारी,बिनोद केराम,जितेंद्र सिंह,पीताम्बर मराबी,राम बरन सिंह ने कहा है कि वित्त विभाग द्वारा मितव्ययिता व वित्तीय अनुशासन के नाम पर वर्ष में एक बार मिलने वाले इंक्रीमेंट में रोक लगाने का आदेश जारी किया गया है, यह कर्मचारियों को हतोत्साहित करने वाला तथा कर्मचारी विरोधी आदेश है। कोविड -19 के संक्रमण के बचाव हेतु लागू देशव्यापी लॉक डाउन के कारण राजस्व प्राप्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का हवाला देते हुए राजस्व प्राप्ति की भरपाई कर्मचारियों के इंक्रीमेंट रोककर करना सर्वथा अनुचित तथा असहनीय है।
शासन के पास राजस्व प्राप्ति के अन्य माध्यम भी है उनका उपयोग सरकार को करना चाहिए।कोरोना संक्रमण काल मे निम्न वर्ग को विभिन्न प्रकार के लाभ व सुविधाएं दी जा रही है, वही उद्योग, व्यापार के लिए सहायता का पैकेज जारी किया गया है, तो कर्मचारियो के हिस्से में वर्ष में एक बार वेतनवृद्धि का समय आता है, उस पर रोक लगाने से महंगाई के दौर में उनके परिवार की व्यवस्था बिगड़ जाएगी, आखिर सरकार कर्मचारियो के लिए ऐसे कठोर निर्णय कैसे ले सकती है।
इस आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने की है।ज्ञात हो कि प्रदेश के सभी कर्मचारी वर्तमान करोना काल मे भी इस महामारी से लड़ने हर स्तर पर सहयोग कर रहे है, कर्मचारियो ने अपने वेतन से 1 दिन का वेतन भी कोरोना लड़ाई में सहायता हेतु दिया है, ऐसे में उनके इंक्रीमेंट को रोकना मतलब कर्मचारियों के कार्य करने की क्षमता पर अवरोध उतपन्न करना है।
पहले से ही अघोषित रूप से मंहगाई भत्ता रुका हुआ है, उसे जारी करने के बजाय वेतन वृद्धि रोककर वेतन को स्थायी करने का आदेश अव्यवहारिक है, कर्मचारियो की सेवाभाव व कर्मचारी परिवार के हित में इस आदेश को सरकार तत्काल वापस ले, कर्मचारी हितों की रक्षा हेतु एकजूट है।

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