वैक्सीनेशन में आरक्षण के मुद्दे पर हाईकोर्ट की फटकार बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने रद्द किया वैक्सीनेशन प्रोग्राम..जारी आदेश मे वैक्सीनेशन जैसे गंभीर मुद्दे पर भी राजनीति की कोशिश
हाईकोर्ट से फटकार मिलने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने 18 से 44 वर्ष तक के लोगों के लिए वैक्सीनेशन प्रोग्राम रद्द कर दिया है शासन द्वारा जारी वैक्सीनेशन कार्यक्रम रद्द करने के आदेश की खास बात यह है कि जिस तरीके से छत्तीसगढ़ सरकार वैक्सीनेशन में आरक्षण देकर राजनीतिक रोटी सेंकने की कोशिश कर रही थी वही काम वैक्सीनेशन प्रोग्राम रद्द करने के आदेश में भी करने का प्रयास किया गया है. ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ सरकार ने कोरोना वैक्सीनेशन में अंत्योदय कार्ड धारकों को प्राथमिकता देते हुए 2 मई से टीकाकरण प्रारंभ कर दिया था इसके बाद बीपीएल कार्ड धारकों को फिर एपीएल कार्ड धारक उसके बाद अन्य लोगों का टीकाकरण किया जाना था राज्य सरकार के निर्णय के खिलाफ लोगों में असंतोष था लोगों का कहना था कि जैसे अब तक वैक्सीनेशन उम्र के आधार पर किया जा रहा था वैसे ही राज्य सरकार द्वारा भी आयु वर्ग निर्धारित कर देना चाहिए जिससे उस आयु वर्ग के सभी लोगों का टीकाकरण हो सके जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा वैक्सीन के कम उत्पादन को देखते हुए पहले फ्रंटलाइन कोरोना वारियर्स और 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को फिर 45 से 60 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों का चरणबद्ध तरीके से टीकाकरण किया जा रहा है वैसे ही छत्तीसगढ़ में भी किया जा सकता था. 2 दिन पहले इस मामले में सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने भी इस पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि बीमारी अमीरी और गरीबी देख कर नहीं आती।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के उपसचिव सुरेंद्र सिंह बाघे द्वारा जारी आदेश के अंतिम पैराग्राफ मे कहा गया है कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार ने तत्काल 5 मई को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति गठित कर दी है क्योंकि समिति को माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार विभिन्न पहलुओं जैसे भेद्यता, संक्रमण फैलने की संभावना और समूह में पात्र व्यक्तियों की संख्या पर विचार करना है इसलिए समिति को अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करने में कुछ समय लगने की संभावना है माननीय उच्च न्यायालय द्वारा अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी आदेश 30/4/2021 को संशोधित करने का आदेश दिया गया है और यह कहा है कि अंत्योदय, बीपीएल एवं एपीएल श्रेणी के लिए टीकाकरण के अनुपात का निर्धारण राज्य शासन द्वारा किया जाए. शासन द्वारा अनुपात का निर्धारण करने में कुछ समय लगने की संभावना है इस बीच यदि केवल अंत्योदय हितग्राहियों का टीकाकरण किया गया तो इसे माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना माना जा सकता है इस प्रकार के संशोधन किए जाने तक माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में 18 से 44 वर्ष आयु वर्ग के टीकाकरण को स्थगित किया जाता है। जारी आदेश के पहले पेज में राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ने सहित अन्य तमाम बातें कहीं गई है जिसके आधार पर अंत्योदय बीपीएल एपीएल फिर अन्य लोगों को वैक्सीन लगाने के कारण बताए गए हैं.