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महुवा से निर्मित सेनेटाइजर का हुआ शुभारंभ….विश्व जैव विविधता दिवस के अवसर पर जशपुर में हुआ प्रारंभ…..मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी की है सराहना

जशपुर: विश्व जैव विविधता दिवस के अवसर पर ग्राम पनचक्की में जिला प्रशासन, वन विभाग, युवा वैज्ञानिक समर्थ जैन और वन विभाग की स्व-सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा महुआ से बने शुद्ध हर्बल युक्त सेनेटाईजर का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर विधायक जशपुर विनय भगत, कलेक्टर निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर, पुलिस अधीक्षक शंकरलाल बघेल, सीआरपीएफ कमांडेंट अनिल कुमार प्रसाद, वनमण्डलाधिकारी जाधव श्री कृष्ण, जिला पंचायत के सीईओ के.एस.मण्डावी, उपमण्डलाधिकारी एस.गुप्ता और स्व-सहायता समूह की महिलाएं एवं पत्रकार गण उपस्थित थे। इस अवसर पर उपस्थित पत्रकारों एवं अन्य गणमान्य लोगों को निःशुल्क सेनेटाईजर का वितरण भी किया गया।
विधायक विनय भगत ने शुभांरभ अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि आज हम सब जैव विविधता दिवस के अवसर पर उपस्थित हुए हैं। जिला प्रशासन, वन विभाग, युवा वैज्ञानिक समर्थ जैन एवं समूह की महिलाओं को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि खुशी की बात है कि आज महुआ से बने सेनेटाईजर के लिए जशपुर जिले को जाना जाएगा। अथक मेहनत और सार्थक प्रयास से पूरी टीम ने महुआ हर्बल सेनेटाईजर का अविस्कार किया है। जिसकी प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी सराहना की है। उन्होंने कहा कि हमारा जशपुर जिला ग्रीन-टी के नाम से जाना जाता था। अब जशपुर जिला सेनेटाईजर बनाने के अविस्कार के रुप से भी जाना जाएगा।
कलेक्टर निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर ने सभी को अपनी शुभकामनएं देते हुए कहा कि आज महुआ से बने हर्बल युक्त सेनेटाईजर बनाया गया है। वन विभाग, युवा वैज्ञानिक समर्थ जैन और समूह की महिलाओं का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि सब के सहयोग से आज हम महुआ से शुद्ध हर्बल सेनेटाईजर बनाने में सफल हुए हैं। आज जशपुर जिला का देश-प्रदेश में भी नाम सुमार हुआ हैं। सेनेटाईजर बनाना अपने आप में अद्भूत कल्पना थी। जिसमें हम सफल हुए हैं। यह सेनेटाईजर केमिकल मुक्त, 100 प्रतिशत् हर्बल युक्त उत्पादन है। आगामी कुछ दिनों में जिले के सन्ना, कुनकुरी, पत्थलगांव में सेनेटाईजर बनाने का कार्य प्रारंभ किया जाएगा। जशपुर जिला चाय के बागान के नाम से तो जाना जाता था अब सेनेटाईजर के नाम से जाना जाएगा। उन्होंने कहा कि महुआ संस्कृति विरासत से भी जुड़ा हुआ है। जनजाति समुदाय में अलग-अलग पद्धति से इसका उपयोग किया जाता है। स्व-सहायता समूह की महिलाओं को जोड़कर महुआ कैटल बनाने की भी योजना बनाई जा रही है। जिसका लाभ पशुओं को होगा। साथ ही महिलाओं को रोजगार मिलेगा और आर्थिक रूप से सक्षम बन सकेगा। दिवस के अवसर पर ग्राम पनचक्की में जिला प्रशासन, वन विभाग, युवा वैज्ञानिक समर्थ जैन और वन विभाग की स्व-सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा महुआ से बने शुद्ध हर्बल युक्त सेनेटाईजर का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर विधायक जशपुर विनय भगत, कलेक्टर निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर, पुलिस अधीक्षक शंकरलाल बघेल, सीआरपीएफ कमांडेंट अनिल कुमार प्रसाद, वनमण्डलाधिकारी जाधव श्री कृष्ण, जिला पंचायत के सीईओ के.एस.मण्डावी, उपमण्डलाधिकारी एस.गुप्ता और स्व-सहायता समूह की महिलाएं एवं पत्रकार गण उपस्थित थे। इस अवसर पर उपस्थित पत्रकारों एवं अन्य गणमान्य लोगों को निःशुल्क सेनेटाईजर का वितरण भी किया गया।
विधायक विनय भगत ने शुभांरभ अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि आज हम सब जैव विविधता दिवस के अवसर पर उपस्थित हुए हैं। जिला प्रशासन, वन विभाग, युवा वैज्ञानिक समर्थ जैन एवं समूह की महिलाओं को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि खुशी की बात है कि आज महुआ से बने सेनेटाईजर के लिए जशपुर जिले को जाना जाएगा। अथक मेहनत और सार्थक प्रयास से पूरी टीम ने महुआ हर्बल सेनेटाईजर का अविस्कार किया है। जिसकी प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी सराहना की है। उन्होंने कहा कि हमारा जशपुर जिला ग्रीन-टी के नाम से जाना जाता था। अब जशपुर जिला सेनेटाईजर बनाने के अविस्कार के रुप से भी जाना जाएगा।
कलेक्टर निलेशकुमार महादेव क्षीरसागर ने सभी को अपनी शुभकामनएं देते हुए कहा कि आज महुआ से बने हर्बल युक्त सेनेटाईजर बनाया गया है। वन विभाग, युवा वैज्ञानिक समर्थ जैन और समूह की महिलाओं का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि सब के सहयोग से आज हम महुआ से शुद्ध हर्बल सेनेटाईजर बनाने में सफल हुए हैं। आज जशपुर जिला का देश-प्रदेश में भी नाम सुमार हुआ हैं। सेनेटाईजर बनाना अपने आप में अद्भूत कल्पना थी। जिसमें हम सफल हुए हैं। यह सेनेटाईजर केमिकल मुक्त, 100 प्रतिशत् हर्बल युक्त उत्पादन है। आगामी कुछ दिनों में जिले के सन्ना, कुनकुरी, पत्थलगांव में सेनेटाईजर बनाने का कार्य प्रारंभ किया जाएगा। जशपुर जिला चाय के बागान के नाम से तो जाना जाता था अब सेनेटाईजर के नाम से जाना जाएगा। उन्होंने कहा कि महुआ संस्कृति विरासत से भी जुड़ा हुआ है। जनजाति समुदाय में अलग-अलग पद्धति से इसका उपयोग किया जाता है। स्व-सहायता समूह की महिलाओं को जोड़कर महुआ कैटल बनाने की भी योजना बनाई जा रही है। जिसका लाभ पशुओं को होगा। साथ ही महिलाओं को रोजगार मिलेगा और आर्थिक रूप से सक्षम बन सकेगा।

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