सफलता साधनों की नहीं प्रतिभा और मेहनत की मोहताज होती है .. बचपन में माता-पिता का साया सर से उठ गया..अब हुआ खेल कोटा से रेलवे में चयन..पढ़िए अंबिकापुर की अंतर्राष्ट्रीय बास्केटबॉल खिलाड़ी निशा कश्यप की प्रेरणादायक कहानी
अंबिकापुर : कहते हैं कि सफलता साधनों की नहीं प्रतिभा एवं मेहनत की मोहताज होती है, इसे सच कर दिखाया है अंबिकापुर की अंतरराष्ट्रीय बास्केटबॉल खिलाड़ी निशा कश्यप ने जिसने अभावों में रहकर अंबिकापुर के बास्केटबॉल कोर्ट से अंतरराष्ट्रीय बास्केटबॉल खिलाड़ी बनने का सफर तय किया और प्रतिभा के बदौलत अंबिकापुर की बेटी निशा कश्यप का चयन खेल कोटा से दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर में हुआ है।
निशा का जन्म अंबिकापुर के एक बेहद साधारण परिवार में हुआ था बचपन मे ही निशा के माता-पिता का निधन हो गया था जिसके बाद निशा की बड़ी बहन ने जो स्वयं कपड़े की दुकान में काम करती थी ने आय के सीमित साधनों के बावजूद निशा का पालन पोषण किया और उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया
निशा कश्यप ने हिंद शिखर से चर्चा के दौरान बताया कि-
“बचपन में मेरे माता पिता का निधन हो गया था माता पिता के निधन के बाद मेरी बहन और उनके पति ने मुझे संभाला और मेरा पालन पोषण किया इसी बीच मेरी कुछ फ्रेंड्स अंबिकापुर में बास्केटबॉल खेलने जाती थी उनको देखकर मैं भी बास्केटबॉल खेलने जाने लगी कुछ ही दिनों में मैं अच्छा खेलने लगी मेरी मेहनत और लगन को देखकर बास्केटबॉल के कोच राजेश प्रताप सिंह ने मुझे प्रशिक्षण दिया उनकी प्रशिक्षण के बदौलत बास्केटबॉल के मिनी वर्ग राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई । कोच राजेश प्रताप सिंह ने निशा की प्रतिभा देखकर साई बास्केटबॉल के अंतराष्ट्रीय प्रशिक्षक के राजेश्वर राव एवं राधा राव से अनुरोध किया कि वे उसे राजनांदगांव ले जाकर उसे एडवांस ट्रेनिंग प्रदान करें। उन्होंने उस लड़की के बेटरी टेस्ट लिए और उसे सलेक्ट कर लिया। उन्होंने उसका युगांतर पब्लिक स्कूल राजनांदगांव में एडमिशन कराया और उसे रखकर नियमित अभ्यास कराया और निशा के टेलेंट को देखकर साई ट्रेनिंग सेंटर राजनांदगांव में उसे सलेक्ट किया। उसके बाद निशा ने पिछे मुडकर नहीं देखा। उसने राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण रजत एवं कांस्य पदक जीते एवं एशियन एवं विश्व स्कूल बास्केटबॉल प्रतियोगिता सहित तीन अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लिया।”
आज निशा का चयन अपनी मेहनत के दम पर खेल कोटे में दक्षिण पूर्वी मध्य रेलवे बिलासपुर में हो गया है।
निशा कश्यप अपनी इस उपलब्धि का संपूर्ण श्रेय के. राजेश्वर राव, राजेश प्रताप सिंह एवं के. राधा राव को देती हैं साथ ही युवाओं को संदेश देते हुए कहती हैं की कड़ी मेहनत करें तो सफलता निश्चित है।