पोड़ी मोड़-प्रतापपुर।मां महामाया शक्कर कारखाना केरता में मजदूरों के साथ अकास्मित दुर्घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। एक सप्ताह पूर्व 6 मजदूर शक्कर की बोरी में दबने से घायल हो गए थे जिसमें एक मजदूर की मौत भी हो गई वहीं कल पुनः दो मजदूर फिर से दुर्घटना के शिकार हो गए। मजदूरों एवं कर्मचारियों तथा कारखाने की सुरक्षा एवं पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए प्रबंधन द्वारा शक्कर कारखाने में लाखों रुपए खर्च कर जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं परंतु सारे कैमरे हाथी के दांत की तरह शोपीस बनकर रह गए हैं। प्रतिवर्ष नए कैमरे लगाने एवं कैमरों की मरम्मत कराने मोटी रकम खर्च तो प्रबंधन द्वारा की जाती है परंतु देख-रेख के अभाव में वे औचित्यहीन हो गए हैं। चाहे गोदाम से शकर गमन का मामला हो या फर्जी गन्ना तौल का मामला या चोरी का मामला चाहे मजदूरों की लापरवाही का मामला हो इन कैमरों से प्रबंधन को कोई सहायता नहीं मिल पा रही है। सीसीटीवी कैमरे की देखरेख में बरती जाने वाली कोताही प्रबंधन को शंका के दायरे में खड़ी कर रही है। सुविधाओं को सुचारू रूप से संचालन हेतु प्रबंधन को सजग रहने एवं देख-रेख हेतु नियुक्त तकनीकी व्यक्ति को कड़ाई से पालन करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में किसी भी मजदूर या कारखाने की होने वाली क्षति को रोकी जा सके एवं शत-प्रतिशत निगरानी किया जा सके।