मुझे जो अलंकरण मिला है वो सरगुजा की माटी और साहित्यिक परंपरा का है- जे एन मिश्र , हिंदी भाषा को इस वनांचल भूमि में उर्वरा करने में मिश्र जी का बड़ा योगदान है- विनोद हर्ष
अंबिकापुर- “मैं कविताओं को जीवन का संघर्ष मानता हूं, मुझे जो अलंकरण मिला है वो सरगुजा की माटी और साहित्यिक परंपरा का अलंकरण है..” यह उद्गार
छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य परिषद सरगुजा ईकाई द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में पं सुंदर लाल शर्मा राज्य अलंकरण पुरस्कार से सम्मानित सरगुजा अंचल के वरिष्ठ साहित्यकार जे एन मिश्र जी ने व्यक्त किए.. नगर व क्षेत्र के सुधि साहित्यकारों, व गणमान्य नागरिकों का आभार व्यक्त करते हुए अलंकरण पर अपनी बात रखते हुए उन्होने कहा कि जिन्हें अलंकरण नहीं मिला वे साहित्यकार नहीं है ऐसा नहीं, सरगुजा का साहित्य तो हमेशा से समृद्ध रहा है.. और साहित्य तो समाज का दर्पण है इस विषय पर मंथन की आवश्यकता है.. उन्होने कहा कि मेरा रचनाधर्मियों से विनम्र निवेदन है वे साहित्य के लिए स्वयं को समर्पित करें और वे किसी पुरस्कार के मोहताज न रहें.. इस अवसर पर उन्होने अपनी कविताओं की कुछ पंक्तियां भी पढी-
तुम नदी के पार से,
मुझको बुलाओ मत.
है मंशा क्या तुम्हारी,
हो बुझव्वल तो बुझाओ मत.
ना नाविक है ना नौका है,
है बाजुओं में कितना दम,
परखने का मौका है.
इससे पूर्व कार्यक्रम के प्रारंभ में हिंदी साहित्य परिषद के संरक्षक रंजीत सारथी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया.. इस अवसर पर अपने स्वागत उद्बोधन में जे एन मिश्र जी का जीवन वृत्त रखते हुए हिंदी साहित्य परिषद के अध्यक्ष विनोद हर्ष ने कहा कि यशस्वी साहित्यकार सहज,सरल, व्यवहारकुशल तथा लेखनी के धनी जे एन मिश्र जी युवा साहित्यकारों के प्रेरणास्रोत रहे हैं.. हिंदी भाषा को इस वनांचल भूमि में उर्वरा करने में इनका बहुत बडा योगदान है, ऐसी विभूति का सम्मान कर हम गौरवान्वित हैं।
इस अवसर पर उनकी लिखी रचनाओं का पाठ करते हुए हिंदी साहित्य परिषद के उपाध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार देवेन्द्र नाथ दुबे ने कहा कि संघर्षरत जीवन में आगे बढने की ललक व्यक्ति को तराशती है, यह जे एन मिश्र बाबूजी के लिए कहना अतिशंयोक्ति नहीं होगी।
इस अवसर पर श्री मिश्र जी की रचना “तुम समिरन बनो” का पाठ व गायन करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार व हिंदी साहित्य परिषद उपाध्यक्षा श्रीमति मीना वर्मा ने कहा कि उनकी रचनाओं के भावों को आत्मसात करने की आवश्यकता है.
इस अवसर पर कवियित्री अर्चना पाठक ने उनकी सरगुजिहा रचना का पाठ किया तथा हिंदी साहित्य परिषद उपाध्यक्ष विनोद तिवारी व कोषाध्यक्ष अंचल सिन्हा ने उनकी एक एक रचनाओं का पाठ किया.. कार्यक्रम के दौरान जे एन मिश्रजी को हिंदी साहित्य परिषद की ओर से शाल श्रीफल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया ।
कार्यक्रम को जे एन मिश्र जी के सुपुत्र नगर निगम एमआईसी सदस्य द्वितेन्द्र मिश्र, वरिष्ठ साहित्यकार ब्रम्हाशंकर सिंह, वरिष्ठ पत्रकार हरिकिशन शर्मा, उमाकांत पांडेय, तथा राष्ट्रीय कवि संगम अध्यक्ष राजेश पांडेय अब्र ने भी संबोधित किया ।
कार्यक्रम का गरिमामय संचालन हिंदी साहित्य परिषद महासचिव संतोष दास सरल ने तथा आभार प्रदर्शन कवियित्री श्रीमति पूर्णिमा पटेल ने किया ।
कार्यक्रम के अंत में देशबंधु समाचार पत्र से जुड़े वरिष्ठ साहित्यकार व पत्रकार ललित सुरजन जी की असामयिक मत्यु पर तथा प्रख्यात साहित्यकार पदुम लाल पन्नालाल बख्शी की बहू श्रीमति शकुंतला बख्शी की मृत्यु पर दो मिनट मौन धारण कर मृत आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की गई ।
इस अवसर पर मल्टीपरपज हायर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य एच के जायसवाल, वरिष्ठ साहित्यकार रमाकर त्रिपाठी, डॉ सुदामा मिश्रा, अंजनि सिन्हा, अरविंद मिश्रा, विजय सिंह दमाली, डॉ योगेन्द्र गहरवार, के.के. राय, श्रीमति गीता द्विवेदी, श्रीमति माधुरी जायसवाल, सुश्री एकता सिरीकर, अम्बरीश कश्यप, कृष्ण कांत पाठक, जयंत खानवलकर, श्रीमति आशा पांडेय, उमेश पांडेय, श्रीमति पूनम दुबे, श्रीमति पूनम पांडेय, श्रीमति मंशा शुक्ला, श्रीमति शिल्पा पांडेय, उमेश पांडेय, राजेन्द्र अग्रवाल, श्रीमति सूरजकांति गुप्ता, शशि कांत तिवारी, अंबिका सिंह, बुघराम तिर्की सहित अन्य साहित्यकार व गणमान्य नागरिकगण उपस्थित थे ।