वैक्सीनेशन पॉलिसी पर हाईकोर्ट सख्त छत्तीसगढ़ सरकार को दिया बुधवार को शपथ पत्र प्रस्तुत करने का आदेश
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण पॉलिसी पर फिर से सवालिया निशान लगाया है इस मुद्दे पर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने वैक्सीन के बर्बादी को लेकर नाराजगी जताई है कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार से पूछा है कि एक जगह लंबी लंबी लाइनें लग रही है तो दूसरी ओर लोग वैक्सीनेशन के लिए नहीं आ रहे हैं ऐसे में सरकार द्वारा जो नीति बनाई गई है उसमें यह स्पष्ट नहीं है कि दूसरे वर्ग की बची वैक्सीन का क्या उपयोग हो रहा है इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को शपथ पत्र प्रस्तुत करने को कहा है अब इस मामले की सुनवाई बुधवार को होगी. दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वैक्सीनेशन में आरक्षण के मुद्दे पर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था की बीमारी अमीरी-गरीबी देख कर नहीं आती इसीलिए सरकार एक नई और स्पष्ट नीति बनाए .हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए आज 17 मई की तिथि निर्धारित की थी. हाई कोर्ट के निर्देश के बाद छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नई वैक्सीन पॉलिसी बनाई गई जिसके अनुसार फ्रंटलाइन वर्कर्स और गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को 20% ,गरीबी रेखा से नीचे-52% अन्त्योदय –16% ,गरीबी रेखा से ऊपर – 12% के अनुपात में टीकाकरण किया जा रहा है इस पर याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने टीकाकरण के लिए निर्धारित वर्ग को लेकर फिर से सवाल उठाए। उनका कहना था कि राज्य शासन ने अंत्योदय व बीपीएल के लिए टीकाकरण का कोटा निर्धारित किया है। लेकिन, उस अनुपात में अंत्योदय व बीपीएल वर्ग के लोग टीकाकरण के लिए सामने नहीं आ रहे हैं। इसके चलते उनके कोटे के टीकों का उपयोग नहीं हो रहा है जिस पर हाईकोर्ट द्वारा सहमति जताते हुए राज्य सरकार को उक्त वर्ग से बचे हुए वैक्सीन को दूसरे वर्ग को लगाने के निर्देश दिए .मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी।