नीतीश कुमार को हाशिए पर करने में कामयाब दिख रही है बीजेपी! एलजेपी नेता चिराग पासवान के सहारे नीतीश कुमार को किनारे करने का जो दांव बीजेपी ने चला था वो कामयाब होता दिखाई दे रहा है
हिंद शिखर न्यूज़/ बिहार विधानसभा चुनाव में अब तक सभी 243 सीटों पर रुझान आ चुके हैं. अब तक के रुझानों को देखते हुए ऐसा लगता है कि बीजेपी जेडीयू से आगे दिखाई दे रही है. बीजेपी 72 और जेडीयू 52 सीट पर आगे चल रही है. इस कोशिश में वो लंबे समय से लगी रही है. ऐसे में अंदरखाने बीजेपी इस बात को लेकर खुश हो सकती है कि कम से कम उसका एक दांव तो सफल हुआ वो पहली बार नंबर के मामले में जेडीयू से आगे जाती दिख रही है. बिहार में बीजेपी अगर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनती है तो नीतीश कुमार का क्या होगा?
बिहार की सत्ता में ‘ड्राइवर’ वाली सीट पर आने के लिए बीजेपी काफी दिनों से संघर्ष कर रही है. अब तक वो JDU के छोटे भाई के तौर पर काम कर रही थी. अगर नंबर के मामले में वो बड़े भाई वाली भूमिका में आई तो वहां की सियासत में बड़ा बदलाव माना जाएगा. एलजेपी नेता चिराग पासवान के सहारे जेडीयू को किनारे करने का जो दांव बीजेपी ने चला था वो कामयाब होता दिखाई दे रहा है.
जेडीयू से पहली बार आगे निकलती दिख रही है बीजेपी आसान नहीं होगी नीतीश कुमार की राह कामयाब होती दिख रही है बीजेपी की ‘एलजेपी’ नीति
बीजेपी अपनी चाणक्य नीति से जेडीयू को पीछे करने में कामयाब होती दिखाई दे रही है. बीजेपी के ज्यादातर बागी नेता लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) से चुनाव लड़ रहे थे. एलजेपी केंद्र में एनडीए का घटक दल है लेकिन उसने बिहार में एनडीए के खिलाफ ही चुनाव लड़ा. यह बात आम हो गई थी कि नीतीश कुमार को कमजोर करने के लिए उसे बीजेपी ने खड़ा किया.बीजेपी (BJP) को बिहार में कभी पूरी सत्ता हाथ नहीं लगी. वो जब भी पावर में रही ‘स्टेपनी’ बनी रही. कभी ड्राइविंग सीट उसे नसीब नहीं हुई. अब हालात बता रहे हैं कि इस बार नीतीश कुमार सबसे कमजोर हैं. बीजेपी के इन बागियों ने यूं ही नहीं लड़ा एलजेपी से चुनाव कभी बीजेपी की ओर से सीएम पद के दावेदार रहे रामेश्वर चौरसिया और संघ से गहरा नाता रखने वाले राजेंद्र सिंह ने बीजेपी छोड़कर एलजेपी से चुनाव लड़ा. चौरसिया सासाराम से जबकि राजेंद्र सिंह दिनारा से मैदान में रहे. क्या इतने कद्दावर नेताओं को जान बूझकर एलजेपी से लड़वाया गया, यह बड़ा सवाल है.