पुरातात्विक महत्व की बिखरी पड़ी मूर्तियों को सहेज कर ग्रामीणों ने शुरू की पूजा अर्चना, जनपद सदस्य ने कहा- पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने की योजना, नवरात्रि में गांव के लोगों के लिए बना है आस्था का केंद्र
विनोद शुक्ला हिंद शिखर न्यूज़ कोरबा। ग्राम चुइया मोहनपुर समेत आसपास के ग्रामीणों के लिए महाकाल रसिया महादेव के प्रति आस्था बढ़ी है। चुईया व अजगरबहार के बीच मुख्य सड़क के किनारे से लगी पहाड़ियों के बीच व बगल से बहने वाले बारहोमासी नाला के समीप बड़ी संख्या में पुरातात्विक महत्व की मूर्तियांे के अवशेष बिखरे पड़े हैं। जिसे ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से एकत्र कर पहाड़ के उपर जगह जगह स्थापित कर दिए हैं। जिसकी लोग त्यौहार विशेष के दिन पूजा करने पहुंचते हैं। अभी नवरात्रि में बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने पहुंच रहे हैं।
इस स्थल को ऐतिहासिक रूप देने के लिए रसिया महादेव विकास समिति व धार्मिक पर्यटन स्थल के नाम से विकसित करने की योजना चुईया पंचायत के लोग पहले ही बना चुके हैं। पहाड़ से लगे एक कुंड में विशालकाय शिवलिंग मिलने पर उसे वहीं पहाड़ के उपर बीते सावन में स्थापित कर दिए थे। उसके बाद से गांव के लोग वहां बिखरी पड़ी मूर्तियों को एकत्र कर मंदिर के आसपास सहेज रखे हैं। ग्राम चुईया निवासी जनपद सदस्य जगलाल राठिया ने बताया कि गांव के सरहद पर रसिया टोक पहाड़ स्थित है। जो 1500 फीट ऊंचा है। गांव के देवता रसिया बाबू का स्थान उनके पूर्वजों ने स्थापित किया है। पुर्वजों के अनुसार रसिया बाबू एक आदि पुरुष हैं और उनको माता कोसगाई दाई के पति रूप में पूजते आ रहे हैं। कहा जाता है कि मां कोसगईदाई पहले टोंक पहाड़ पर ही विराजमान थीं। लेकिन उस समय के राजा महाराजाओं ने कोसगई दाई को कोसगाई पहाड़ पर स्थापित कर दिए थे। उसके बाद गांव के लोग दोनों स्थलों पर पूजा करते आ रहे हैं। राठिया ने बताया कि पूरे गांव के लोगों की मदद व प्रशासनिक सहयोग से इस स्थल को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। फिलहाल पूरे गांव के लोग इन दिनों नवरात्रि में पूजन अर्चन करने पहुंच रहे हैं।