जिस छत्तीसगढ़िया माटी के लिए मैंने नक्सलियों से लोहा लिया एक पैर भी गवां बैठा उसी मिट्टी के दबंगों द्वारा मुझे किया जा रहा है प्रताड़ित*
समाचार पोर्टल हिंद शिखर” के माध्यम से मैं अपनी आवाज किसानों एवं जवानों के हितैषी प्रदेश के मुखिया माननीय भूपेश बघेल तक पहुंचाना चाहता हूं
चंद्रिका कुशवाहा, पोड़ी मोड़- प्रतापपुर।,,,, जी हां यह मार्मिक कहानी प्रदेश की माटी के लिए अपने एक पैर को गंवा चुके उस जवान की जो सूरजपुर जिले के भैयाथान तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत डुमरिया में निवास करता है।पुलिस आरक्षक के रूप में चयन होने के बाद इस जवान में जो देशभक्ति का जज्बा लिए छत्तीसगढ़ की माटी की सेवा करना चाहता था ,, इसकी तैनाती सरगुजा संभाग के जशपुर थाना कोतवाली अंतर्गत आने वाले आरा चौकी में होती है, 6 फरवरी 2006 को जब करीब500 से 600 नक्सलियों ने आधी रात को मौत का सामान लेकर उस पुलिस चौकी में मौजूद गिनती के जवानों पर कहर बरपाते हुए तांडव मचाया था। उसी दौरान मातृभूमि की रक्षा करते हुए उस चौकी में तैनात दो आरक्षक हुमेश्वर कुर्रे तथा चंद्रशेखर कुर्रे शहीद हो गए थे।
इस हमले में सर्वाधिक घायल जवान अमीर लाल पाटले जिसके दाहिने पैर में 5 गोलियां और कंधे पर कई छर्रे लगे थे, हेलीकॉप्टर के माध्यम से अपोलो अस्पताल बिलासपुर पहुंचाकर किसी तरह उसकी जान बचाई गई लेकिन यह जवान अपने दाहिने पैर से जीवन भर के लिए दिव्यांग हो गया।
सरगुजा रेंज के तत्कालीन आईजी ए एन उपाध्याय ने जवान अमीर लाल पाटले को जशपुर से उसके गृह जिले सूरजपुर में स्थानांतरण कर अपने जीवन यापन करने की सौगात दी। जवान अमीरलाल पाटले अपने पैतृक गांव जो भैयाथान ब्लॉक के डुमरिया ग्राम पंचायत में है वहां किसी तरह जीवन यापन करने लगा क्योंकि उसे पैर के इलाज के लिए बार-बार अपोलो जाना पड़ता था, पिता की मृत्यु के बाद पूरे कुटुंब की जिम्मेदारी इस जवान के कंधों पर आ गई एक पैर से दिव्यांग जवान किसी तरह अपनी ड्यूटी निभाता और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा था।
किंतु गांव के वर्तमान सरपंच पति समेत कुछ दबंगों को इस जवान से तकलीफ होने लगी जिसे हम सामान्यतया ईगो कहते हैं। कुछ दिनों पूर्व इस जवान के मकान पर आकाशीय बिजली गिरने से घर का सारा सामान तहस-नहस होने के साथ कई कमरे गिर गए। वह किसी तरह फिर से उसके पिता द्वारा काबीज भूमि पर मकान बनाने का काम शुरू किया गया जो इन लोगों को नागवार गुजरा।
जवान अमीर लाल पाटले पर इन लोगों ने पूर्व में भी आरोप लगाकर गांव के ही कुछ लोगों द्वारा बयान दिलाते हुए पुलिस विभाग के द्वारा एक वेतन वृद्धि रोकने की सजा तक दिलवा दी। जबकि जिस वन भूमि की बात इन दबंगों द्वारा की जा रही है वह पी- 1692 है इस भूमि पर सरपंच और सचिव को द्वारा स्वयं 8 हितग्राहियों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान भी बनाए गए हैं जो शायद जिला प्रशासन की जानकारी में भी नहीं है।
इसके अतिरिक्त इस ग्राम पंचायत के तकरीबन 65 लोगों ने वन भूमि पर अपना कब्जा करते हुए मकान बनाया है और निवास कर रहे हैं किंतु इस जवान से ही सरपंच पति तथा अन्य दबंगों को आखिर कैसी तकलीफ? जिस की कुर्बानी को ऐसे लोग धता बता रहे हैं यह चिंतनीय विषय है। सबसे दुखद पहलू यह है कि जिस वन भूमि पर आरक्षक अपना मकान बनाकर निवास कर रहा है उस जमीन पर उसके पिता के द्वारा काबीज नामा किया गया था जिनकी मृत्यु कुछ वर्षों पूर्व हो गई है। जवान द्वारा वन विभाग को फाइन भी पटाया जा चुका है,
इस मामले में शासन को सहानुभूति पूर्वक नियमानुसार वन भूमि पट्टा प्रदान किया जाना अत्यंत आवश्यक हो जाता है इसके विपरीत जवान को सभी हथकंडे अपनाते हुए जिसमें कुछ एक मीडिया कर्मियों को भी गुमराह करते हुए इस जवान के खिलाफ खबर का प्रकाशन भी कराया जा चुका है, दबंगों के द्वारा परेशान किया जा रहा है, जिसे पुलिस विभाग द्वारा हस्तक्षेप करते हुए रोका जाना भी चाहिए।
जवान ने “समाचार पोर्टल हिंद शिखर “के माध्यम से प्रदेश के मुखिया जो कि जवानों व किसानों के हितेषी हैं अपनी आवाज पहुंचाने की कोशिश की है ताकि उसे उसके बलिदानों की तिलांजलि मिलने के बजाय थोड़ी सी संवेदना प्राप्त हो।