कांग्रेस ने की झीरम घाटी हमले की एसआईटी जांच की मांग
अम्बिकापुर/ प्रदेश कांग्रेस के निर्देशानुसार सरगुजा जिला कांग्रेस कमेटी के द्वारा झीरमघाटी मामले में एसआईटी की मांग को लेकर पत्रकारवार्ता ली। विधायक डॉ. प्रीतम राम, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष जे.पी.श्रीवास्तव, प्रदेश महासचिव द्वितेंद्र मिश्रा, प्रदेश प्रवक्ता जनार्दन त्रिपाठी, जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता, महापौर डॉ. अजय तिर्की, सभापति अजय अग्रवाल, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती मधु सिंह, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष हेमन्त सिन्हा ने पत्रकारों को संबोधित किया।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता बालकृष्ण पाठक ने कहा कि मैं स्वयं उस समय परिवर्तन यात्रा में मौजूद था तथा उस समय झीरम में इक्का-दुक्का जवानों के अलावे कोई भी ऐसा नहीं था जो उस यात्रा की सुरक्षा को पुख्ता करे, जबकि उस यात्रा की सूचना पूर्व में ही सरकार एवं जिला प्रशासन को दी गई थी, इसके बाद भी सुरक्षा में जानबूझकर सरकार के इशारे पर लापरवाही बरती गई ताकि इस तरह की घटना घटित हो और राज्य में कांग्रेस के प्रमुख नेताओं की हत्या कर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने से रोका जा सके, यह एक बहुत बड़ी साजिश थी, जिस पर हम एसआईटी की मांग करते हैं।प्रदेश उपाध्यक्ष जे.पी.श्रीवास्तव ने कहा कि भाजपा के दंतेवाड़ा जिला उपाध्यक्ष जगत पुजारी, शिव दयाल सिंह सहित कई भाजपा नेताओं के नक्सलियों के साथ संपर्क की बात समाचार पत्र तक में छपे हैं, ऐसे में स्पष्ट है कि भाजपा के नक्सलियों के साथ साठगांठ हैं। यही कारण है कि झीरम मामले में भी सरकार की संलिप्तता स्पष्ट प्रतीत होता है। प्रदेश प्रवक्ता जनार्दन त्रिपाठी ने कहा कि 2016 में कांग्रेस के दबाव पर तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने स्वीकार कर लिया था कि झीरम नरसंहार की सीबीआई जांच करवाई जायेगी, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया, किन्तु मुख्यमंत्री ने 2016 से 2018 तक यह जानकारी छिपाये रखी। यह उनके मानसिकता को स्पष्ट करता है कि वे क्या चाहते हैं। जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा कि एनआईए के दस्तावेज बताते हैं कि पहले नक्सलियों के दो बड़े नेताओं गणपति और रमन्ना को अभियुक्त बनाया था किन्तु पूरक चार्ज शीट दाखिल करते समय उनको अभियुक्तों की सूची से हटा दिया, यह क्यों किया और कैसे किया, यह भी तत्कालीन सरकार के षड्यंत्र को स्पष्ट करता है कि उनके संबंध नक्सलियों के साथ है। इस बीच यह भी देखा गया कि एनआईए ने अपनी वेबसाईट पर यह सूचना लगा दी कि झीरमघाटी नरसंहार की जांच पूरी हो चुकी है। लेकिन हमें इस मामले की पूरी सच चाहिए और इसलिए हम एसआईटी जांच की मांग करते हैं। ंं पत्रकारवार्ता ली। विधायक डॉ. प्रीतम राम, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष डॉ.जे.पी.श्रीवास्तव, प्रदेश महासचिव द्वितेंद्र मिश्रा, प्रदेश प्रवक्ता जनार्दन त्रिपाठी, जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता, महापौर डॉ. अजय तिर्की, सभापति अजय अग्रवाल, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती मधु सिंह, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष हेमन्त सिन्हा ने पत्रकारों को संबोधित किया।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता बालकृष्ण पाठक ने कहा कि मैं स्वयं उस समय परिवर्तन यात्रा में मौजूद था तथा उस समय झीरम में इक्का-दुक्का जवानों के अलावे कोई भी ऐसा नहीं था जो उस यात्रा की सुरक्षा को पुख्ता करे, जबकि उस यात्रा की सूचना पूर्व में ही सरकार एवं जिला प्रशासन को दी गई थी, इसके बाद भी सुरक्षा में जानबूझकर सरकार के इशारे पर लापरवाही बरती गई ताकि इस तरह की घटना घटित हो और राज्य में कांग्रेस के प्रमुख नेताओं की हत्या कर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने से रोका जा सके, यह एक बहुत बड़ी साजिश थी, जिस पर हम एसआईटी की मांग करते हैं।प्रदेश उपाध्यक्ष जे.पी.श्रीवास्तव ने कहा कि भाजपा के दंतेवाड़ा जिला उपाध्यक्ष जगत पुजारी, शिव दयाल सिंह सहित कई भाजपा नेताओं के नक्सलियों के साथ संपर्क की बात समाचार पत्र तक में छपे हैं, ऐसे में स्पष्ट है कि भाजपा के नक्सलियों के साथ साठगांठ हैं। यही कारण है कि झीरम मामले में भी सरकार की संलिप्तता स्पष्ट प्रतीत होता है। प्रदेश प्रवक्ता जनार्दन त्रिपाठी ने कहा कि 2016 में कांग्रेस के दबाव पर तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने स्वीकार कर लिया था कि झीरम नरसंहार की सीबीआई जांच करवाई जायेगी, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया, किन्तु मुख्यमंत्री ने 2016 से 2018 तक यह जानकारी छिपाये रखी। यह उनके मानसिकता को स्पष्ट करता है कि वे क्या चाहते हैं। जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा कि एनआईए के दस्तावेज बताते हैं कि पहले नक्सलियों के दो बड़े नेताओं गणपति और रमन्ना को अभियुक्त बनाया था किन्तु पूरक चार्ज शीट दाखिल करते समय उनको अभियुक्तों की सूची से हटा दिया, यह क्यों किया और कैसे किया, यह भी तत्कालीन सरकार के षड्यंत्र को स्पष्ट करता है कि उनके संबंध नक्सलियों के साथ है। इस बीच यह भी देखा गया कि एनआईए ने अपनी वेबसाईट पर यह सूचना लगा दी कि झीरमघाटी नरसंहार की जांच पूरी हो चुकी है। लेकिन हमें इस मामले की पूरी सच चाहिए और इसलिए हम एसआईटी जांच की मांग करते हैं।