बलरामपुर

बलरामपुर जिले के स्कूलों का हाल तो देखिए कलेक्टर साहब,बच्चों को पढ़ाने एक भी शिक्षक शिक्षिकाएं नहीं पहुंचे स्कूल, पड़ोस के शिक्षक दूसरे स्कूल के ऑफिस में बैठकर स्कूल का कर रहे थे पहरेदारी

विकासखंड शिक्षा अधिकारी नहीं कर पा रहे हैं सही से मॉनिटरिंग जिसका भरपूर लाभ उठा रहे हैं इन जैसे शिक्षक शिक्षिकाएं

बलरामपुर जिले के विकासखंड बलरामपुर के अंतर्गत पूर्व माध्यमिक शाला चितमा के स्कूल में एक भी शिक्षक शिक्षिकाएं मौजूद नहीं रहे ज्ञात हो कि शिक्षा विभाग जहां बड़े-बड़े दावों की ढिंढोरा पिटती है वही उनके ही शिक्षक उनकी ही दावों का पोल खोल रहे हैं ना तो स्कूल में प्रधान पाठक आए ना ही स्कूल के अन्य शिक्षक और शिक्षिकाएं ना ही पढ़ने वाले छात्र एवं छात्राएं आखिर छात्र छात्राएं स्कूल में आकर करेंगे भी क्या स्कूल आए और वापस अपने घर चल जाए , जब पढ़ाने वाले शिक्षक शिक्षिकाएं स्कूल में नहीं रहेंगे तो छात्र – छात्राओं को पढ़ाएगा कौन जहां शासन प्रशासन बच्चों के भविष्य को लेकर काफी चिंतित और गंभीर है उनको आगे बढ़ाने हर संभव प्रयास कर रही वही शिक्षक उनकी प्रयासों पर पानी फेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे , शासन प्रशासन को ही कटघरे में खड़ा करने के प्रयासो में जुटे ऐसे शिक्षक नोनीहालों के भविष्य के साथ किस तरह खेल रहे हैं ।

आप खुद देखिए ऐसे शिक्षक क्या गढ़ पाएंगे बच्चों का भविष्य या घर बैठकर आराम से सरकार के पैसों का मजे लेते रहेंगे आखिर कब तक इन नोनीहालों के जिंदगियों से इन जैसे शिक्षक खेलते रहेंगे ऐसे शिक्षकों पर कार्यवाही क्यों नहीं होती है या फिर विकासखंड शिक्षा अधिकारी का कही संरक्षण तो प्राप्त नहीं आखिर बेखौफ इस तरह से कोई कैसे इतनी बड़ी लापरवाही कैसे कर सकता है शासन प्रशासन को चुनौती देते शिक्षक शिक्षिकाएं शायद बच्चों की पढ़ाई से इनको कोई वास्ता ही नहीं या फिर इस विषय को लेकर गंभीर ही नहीं है इनको तो सिर्फ पैसों से प्यार है जो इनको घर बैठे आराम से मिल ही रहा यातो उन्हें पता ही नहीं की अपना भी स्कूल है जहां सैकड़ो बच्चों को पढाना है उनका भविष्य को बनाना है आखिर इनको इन बच्चों की चिंता हो भी क्यों क्योंकि इन जैसे शिक्षकों के बच्चे तो प्राइवेट स्कूलों के अच्छे से अच्छे स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं और सरकार घर बैठे इनको सैलरी दे ही रही है फिर स्कूल पढ़ाने क्यों जाना .? आखिर गरीब बच्चों के प्रति इनको कोई सहानुभूति नहीं फिर ऐसे में क्या ऐसे शिक्षक सरकार के पैसों का दोहन नहीं कर रहे

पड़ोसी शिक्षक जो स्कूल के ऑफिस में बैठ पहरेदारी कर रहे हैं उनका क्या कहना

आज स्कूल में ना तो प्रधान पाठक आए है ना ही उनके स्टाफ आए हैं एक स्टॉप शिक्षक आए भी थे वो मेरे को बोलकर चले गए की स्कूल को देखते रहिएगा छुट्टी के समय होगा तो बंद कर दीजिएगा मैं आज खाना नहीं खाया हूं तो खाना खाने जा रहा हूं , इसीलिए मैं अकेला अपने स्कूल को छोड़कर उनके स्कूल का पहरादारी कर रहा

क्या कहते स्थानीय ग्रामीण

इन शिक्षकों का रवैया बिल्कुल भी सही नहीं है आज तो बच्चों को पढ़ने कोई शिक्षक ही नहीं आए हमारे बच्चे स्कूल गए थे लेकिन कोई शिक्षक नहीं रहे फिर वापस आ गए आखिर करते भी क्या जब पढ़ाने वाला ही कोई नहीं आया है न ही खाना बनाने वाला कोई है तो स्कूल में करते भी क्या इसीलिए वापस घर आ गए इस स्कूल के शिक्षकों का यही हाल है इनको हमारे बच्चों के भविष्य के प्रति तनिक भी चिंता जिम्मेदारी नहीं है पता नहीं सरकार इनको किस लिए पैसा दे रही है इनको जब हमारे बच्चों को पढ़ना ही नहीं है अपने घर का काम करना है तो फिर शिक्षक बनते ही क्यों जहां बच्चों का भविष्य खराब करने पर तुले हो अगर इन शिक्षकों के ऊपर जिला शिक्षा अधिकारी कड़ी से कड़ी कार्यवाही नहीं करते तो हम गांव वाले बाध्य होकर बड़ा आंदोलन करेंगे जिसका जिम्मेदार संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी होंगे

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