छत्तीसगढ़

“सीधी भर्ती हो या पदोन्नति हो, दोनों ही स्थिति में व्याख्याता पद पर प्रमोशन के लिए बीएड अनिवार्य डिग्री”- छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का फैसला

व्याख्याता पद के लिए बीएड डिग्री वाले ही पात्र होंगे। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने शिक्षक के पद से व्याख्याता के पद पर पदोन्नति के लिए केवल बीएड डिग्री धारी शिक्षकों को ही पात्र माना है। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने फैसला सुनाया है। इस फैसले के बाद प्रमोशन का इंतजार कर रहे, कई शिक्षकों की उम्मीदें टूट सकती है। दरअसल श्रवण कुमार प्रधान एवं 12 अन्य शिक्षकों के द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की थी। याचिका छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक एवं प्रशासनिक संवर्ग)भर्ती तथा पदोन्नति नियम 2019 की अनुसूची 4 के सरल क्रमांक 14 में शिक्षक/ प्रधान पाठक प्राथमिक शाला (प्रशिक्षित स्नाकोत्तर) जो कि शिक्षक के पद से व्याख्याता के पद पर पदोन्नति से संबंधित थी।

< प्रशिक्षित शब्द को भर्ती नियम में परिभाषित नहीं किया गया था शिक्षक के पद से व्याख्याता के पद पर पदोन्नति हेतु राज्य सरकार ने जो पात्रता की थी, उसमें 5 वर्ष का कार्य अनुभव शिक्षक के पद पर होनी चाहिए, वहीं प्रशिक्षित स्नाकोत्तर होने चाहिए। जबकि, भर्ती नियम 2019 में “प्रशिक्षित” शब्द को कहीं भी परिभाषित नहीं किया गया है। स्पष्टता नहीं होने की वजह से डीएलएड डिग्री धारी भी व्याख्याता के पद पर पदोन्नति हेतु पात्र हो जा रहे थे। जबकि एनसीटीई रेगुलेशन 2014 के अनुसार सीधी भर्ती हो या पदोन्नति हो, दोनों ही स्थिति में बीएड अनिवार्य डिग्री है। डीएलएड प्रशिक्षित का प्रमोशन नियम के विरुद्ध इसी आधार पर श्रवण कुमार प्रधान एवं अन्य शिक्षकों के द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष शिक्षक भर्ती नियम 2019 19 में अनुसूची 4 में सरल क्रमांक 14 में दिए हुए प्रशिक्षित स्नाकोत्तर को विलोपित करते हुए बीएड डिग्री धारी को ही पात्र मानने की मांग के साथ याचिका दायर की थी। याचिका में यह बताया गया कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शिक्षक भर्ती नियम 2019 को बनाते समय एनसीटीई द्वारा न्यूनतम योग्यता के संबंध में दिए गए गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया है, जबकि एनसीटीई द्वारा निर्धारित मिनिमम योग्यता राज्य शासन के लिए बाध्यकारी है। इसके विपरीत कोई नियम या योग्यता निर्धारित नहीं कर सकता। एनसीटीई के नियमों को लागू करना राज्य सरकार के लिए जरूरी याचिकाकर्ताओं ने अनुसूची 4 की सरल क्रमांक 14 में प्रशिक्षित स्नाकोत्तर को विलोपित करते हुए उसके स्थान पर बीएड डिग्री धारी को ही पात्र मानने की मांग की गयी थी। साथ ही साथ यह बताया गया कि उच्चतम न्यायालय के द्वारा निर्धारित किया गया है कि B.Ed डिग्रीधारी प्राइमरी स्कूल के शिक्षक हेतु अपात्र है एवं इस प्रकार B.Ed डिग्री धारी व्याख्याता के पद पर पदोन्नति हेतु अपात्र है, जिस पर उच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई करते हुए यह अभी निर्धारित किया गया कि एनसीटीई द्वारा निर्धारित मिनिमम योग्यता राज्य शासन पर बाध्यकारी है। गोविंद देवांगन ने याचिकाकर्ताओं का रखा पक्ष राज्य शासन के द्वारा ऐसी कोई नियम या योग्यता नहीं रख सकते जो एनसीटीई के द्वारा निर्धारित योग्यता के विपरीत या उससे अलग हो। इस प्रकार उच्च न्यायालय द्वारा श्रवण कुमार प्रधान एवं अन्य के द्वारा दायर याचिका में यह अभी निर्धारित किया है कि व्याख्याता के पद पर पदोन्नति हेतु केवल बीएड डिग्री धारी ही योग्य एवं पात्र होंगे। डीएड डिग्री धारी व्याख्याता के पद पर पदोन्नति हेतु अपात्र हो जाएंगे। मामले में उच्च न्यायालय के समक्ष गोविंद देवांगन अधिवक्ता के द्वारा पैरवी की गयी एवं इस मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा एव रविंद्र अग्रवाल की बेंच के द्वारा सुनवाई की गई। इस आदेश के कारण बहुत से ऐसे शिक्षक जो व्याख्याता के पद पर पदोन्नति हेतु आस लगाए हैं उनकी उम्मीदें टूट सकती है,

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button