बिहार

पूरे गांव पर वक्फ बोर्ड ने ठोक दिया दावा, गांव वाले कोर्ट में गए तो अदालत ने…

पूरे देश में इन दिनों वक्फ बोर्ड के असीमित अधिकार की चर्चा चल रही है , वक्फ बोर्ड को मिले निरंकुश शक्तियों पर चर्चा के लिए केंद्र की मोदी सरकार द्वारा संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन भी किया गया है इसी बीच बिहार के पटना के पास फतुहा के गोविंदपुर गांव में वक्फ बोर्ड ने लोगों को नोटिस भेजा, जिसमें पूरे गांव पर अपना दावा करते हुए वक्त बोर्ड में 30 दिनों में गांव खाली करने को कहा है जिससे हड़कंप मच गया.
दरअसल यहां के ज्यादातर परिवार हिन्दू हैं और कई पीढ़ियों से यहीं रह रहे हैं। जबकि वक्फ बोर्ड का दावा है कि यह जमीन उनकी है और लोगों को 30 दिनों में जमीन खाली करनी होगी। इसी बीच जब परेशान लोग कोर्ट पहुंचे तो वहां कुछ ऐसा हुआ जिससे वक्फ बोर्ड के दावों पर सवाल उठ गए। यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड की शक्तियों पर रोक लगाने और संपत्तियों से जुड़ी गड़बड़ियों को दूर करने की कोशिश कर रही है। इसी बीच फतुहा के गोविंदपुर गांव से यह खबर आई, जहाँ लगभग 95% हिन्दू परिवारों का बसेरा है और वक्फ बोर्ड ने उनकी जमीन पर ही अपना दावा ठोंक दिया।

वक्फ बोर्ड के नोटिस के बाद लोग पहुंचे कोर्ट

वक्फ बोर्ड ने लोगों को नोटिस भेजा है, जिसमें लिखा है कि यह जमीन वक्फ बोर्ड की है और लोगों को 30 दिनों के अंदर उसे खाली करना होगा। वक्फ बोर्ड ने अपनी तरफ से बोर्ड भी लगा दिया है। पीड़ित लोग अधिकारियों से गुहार लगाते रहे, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। परेशान होकर लोगों ने पटना हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट में वक्फ बोर्ड अपनी बात का एक भी सबूत पेश नहीं कर पाया। पीड़ितों को पटना हाई कोर्ट से फिलहाल राहत मिल गई है, लेकिन उनके मन में डर बैठा हुआ है। उनका कहना है कि वक्फ बोर्ड के पास बहुत शक्तियाँ हैं, कल को कुछ भी हो सकता है।

जानिए ‘कोर्ट ने क्या कहा’
रामलाल, राज किशोर, संदीप कुमार जैसे कई लोग हैं जिन्हें यह नोटिस मिला है। एक न्यूज चैनल के कैमरे में उन्होंने कई बातें कहीं। इनका कहना है कि ये जमीन इनकी पुश्तैनी है। 1908 में सर्वे हुआ था, तब से वो लोग यहीं रह रहे हैं। यहां तक कि न्यूज चैनल के कैमरे पर लोगों ने अपने कागजात भी दिखाए। इनके मुताबिक ‘हमने वक्फ बोर्ड से कहा कि अगर यह जमीन आपकी है तो सबूत दिखाइए। उन्होंने हमें उर्दू में लिखा एक कागज का टुकड़ा थमा दिया, जिसमें कुछ समझ में नहीं आ रहा था। हमने उनसे हिंदी में अनुवाद करने को कहा तो उन्होंने मना कर दिया। इसके बाद हम पटना हाई कोर्ट गए। कोर्ट में वक्फ बोर्ड अपनी बात का एक भी सबूत पेश नहीं कर पाया कि यह जमीन उनकी है।’

क्या कहना है वक्फ बोर्ड का
एक अन्य निवासी राजकिशोर ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में बताया कि पहले भी एक बार जमीन खाली करने का फरमान जारी हुआ था, लेकिन कोर्ट ने रोक लगा दी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस पूरे विवाद की जड़ गांव के पिछले हिस्से में बनी एक ईदगाह है। इस ईदगाह की देखभाल करने वाले फतुहा वक्फ बोर्ड के सचिव मोहम्मद हाशिम का दावा है कि आजादी के बाद यह जमीन वक्फ बोर्ड को दी गई थी और यहां कब्रिस्तान बनना है।

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