काशी ज्ञानवापी मे 30 साल बाद हिंदुओं ने शुरू की पूजा, कोर्ट ने दी थी मंजूरी.. मुलायम सिंह यादव के शासनकाल में बंद कर दी गई थी पूजा
वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर के व्यास जी के तहखाने में आखिरकार 30 साल बाद पूजा-अर्चना शुरू हो गई. आज (1 फरवरी) सुबह काफी लोग पूजा करने के लिए तहखाने में पहुंचे हैं. ज्ञानवापी परिसर के व्यास तहखाने में पूजा की गई. डीएम ने कहा कि कोर्ट के आदेश का अनुपालन कराया गया है.बता दें कि वाराणसी की जिला अदालत के फैसले के बाद रातों-रात तहखाने से बैरिकेडिंग हटा दी गई और पूजा के लिए लोग जुटने लगे. दरअसल कोर्ट ने बुधवार (31 जनवरी) को हिंदू पक्ष को बड़ी राहत देते हुए परिसर में मौजूद तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने का निर्णय सुनाया था.
अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद सीएम मुलायम सिंह यादव के शासनकाल के दौरान तहखाने में पूजा-पाठ बंद करा दिया गया था और बैरिकेडिंग कर दी गई थी.
वाराणसी की जिला अदालत द्वारा ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार मिलने के बाद आज पूजा शुरू हो गई है. जिला न्यायाधीश अदालत ने तहखाने में पूजा पाठ करने का अधिकार व्यास जी के नाती शैलेन्द्र पाठक को दिया है. हालांकि मुस्लिम पक्ष अदालत के फैसले से खुश नहीं है और उसने अदालत में चुनौती देने का फैसला किया है.
अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद ज्ञानवापी स्थित व्यासजी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा करने से रोक दिया गया था, कोर्ट का फैसला हिंदुओं के पक्ष में आने के बाद हिंदू पक्ष खुश हैं और लगभग 30 बाद गुरूवार को हिंदुओं ने पूजा पाठ किया,
रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए जिला न्यायाधीश ने अपने आदेश में जिलाधिकारी को निर्देशित करते हुए कहा है कि वादी शैलेन्द्र व्यास और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट द्वारा तय किए गए पुजारी से व्यास जी के तहखाने में स्थित मूर्तियों की पूजा और राग-भोग कराए जाने की व्यवस्था सात दिन के भीतर कराएं.
नवंबर 1993 तक सोमनाथ व्यास का परिवार तहखाने में पूजा-पाठ करता था. अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद सीएम मुलायम सिंह यादव के शासनकाल के दौरान तहखाने में पूजा-पाठ बंद करा दिया गया था और बैरिकेडिंग कर दी गई थी.
हिंदू पक्ष के वकील ने बताया कि पूजा कराने का कार्य काशी विश्वनाथ ट्रस्ट करेगा. ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने के समक्ष विराजमान नंदी महाराज के सामने लगी बैरीकेडिंग को हटाकर रास्ता खोला जाएगा. उन्होंने बताया कि वर्ष 1993 में तत्कालीन सपा सरकार के दौरान बैरिकेडिंग कर पूजा-पाठ बंद करा दिया गया था.
मुस्लिम पक्ष ने अदालत के निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती देने का फैसला किया है. मुस्लिम पक्ष अधिवक्ता ने कहा कि जिला न्यायाधीश ने हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार देकर अपना अंतिम फैसला दे दिया. अब हम इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय जाएंगे.
आदेश में कहा गया है कि जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी / रिसीवर को निर्देश दिया जाता है कि वह सेटेलमेंट प्लॉट नं. 9130 थाना-चौक, जिला वाराणसी में स्थित भवन के दक्षिण की तरफ स्थित तहखाने, जो कि वादग्रस्त सम्पत्ति है, वादी व काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड के द्वारा नाम निर्दिष्ट पुजारी से पूजा, राग-भोग, तहखाने में स्थित मूर्तियों का कराए और इस उद्देश्य के लिये सात दिन के भीतर लोहे की बाड़ आदि में उचित प्रबंध करें.
व्यासजी के तहखाने में पूजा-पाठ किए जाने संबंधी आवेदन पर जिला अदालत में दोनों पक्ष की तरफ से मंगलवार को बहस पूरी कर ली थी. मुस्लिम पक्ष ने अदालत से कहा था कि व्यास जी का तहखाना मस्जिद का हिस्सा है, लिहाजा उसमें पूजा-पाठ की अनुमति नहीं दी जा सकती.
विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि आज काशी की एक अदालत ने हर हिंदू के दिल को खुशी से भरने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. इस फैसले पर हिंदू समाज को बधाई देते हुए उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि इसके बाद ज्ञानवापी मामले पर भी अदालत का फैसला जल्द आएगा. हमें विश्वास है कि सुबूतों और तथ्यों के आधार पर फैसला हिंदुओं के पक्ष में आएगा.
यूपी डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने आगे कहा कि बाबा विश्वनाथ मंदिर परिसर में व्यास जी के तहख़ाने में पूजा का अधिकार देने के संबंध में माननीय कोर्ट के फ़ैसले का हार्दिक स्वागत करता हूं.
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने अदालत के आदेश का स्वागत करते हुए सोशल साइट ‘एक्स’ पर लिखा, ‘शिव भक्तों को न्याय मिला. 1993 से श्रद्धालुओं को इंतज़ार था, हर हर महादेव. जय बाबा विश्वनाथ जय माता श्रृंगार गौरी.