कोरोना, टीकाकरण भ्रांतियां और सामाजिक प्रयास वास्तविक नायक सड़क से लेकर गांव तक नजर आ रहे हैं ,नेता सीन से गोल इन्हें सिर्फ वोट से मतलब
उदयपुर ,क्रांति कुमार रावत(पत्रकार)- कोरोना महामारी का दूसरा चरण अपने चरम पर है। लाखों की संख्या में लोग रोज प्रभावित हो रहे है। हजारों की संख्या में लोग मर रहे है। शहर से दूर गांव में भी अब कोरोना अपनी जड़ें जमा चुका है। विगत दो सप्ताह के आंकड़े बताते है कि गांव में भी अब लोग कोरोना से मरने लगे है। कारणों की चर्चा हम आगे करेंगे कि किन कारणों से इतनी संख्या में लोग मर रहे है।
पहले बात कोरोना जांच, टीकाकरण, भ्रांतियां और हम सब के सामूहिक प्रयास का जब से जांच का दायरा बढ़ा कोरोना के मामले लगातार बढ़ता जा रहा है। अब गांव के लोग भी (कुछ लोगों को छोड़कर) कोरोना जांच करवाने में नही घबरा रहे ।
पहले चरण के टीकाकरण 45+ उम्र में हमारे उदयपुर ब्लॉक में लगभग 90 प्रतिशत से ऊपर लोगों को कोरोना का टीका लगा है ऐसा सरकारी आंकड़ों में दिख रहा है। 18+वाले में सामान्य श्रेणी के लोग जागरूकता दिखा टीका लगवाने काफी संख्या में आगे आ रहे है वहीं अंत्योदय व बीपीएल कार्ड धारकों की संख्या टीकाकरण के प्रति आगे आने वालों की संख्या काफी कम है।
टीकाकरण के बाद कुछ लोगों को बुखार बदन दर्द सर दर्द जैसी परेशानियां भी हुई है ।
मुझे भी परेशानी हुई थी जो कि टीकाकरण के दौरान प्राप्त पैरासिटामाल टेबलेट के उपयोग से उपरोक्त परेशानियों से डेढ़ दिनों में आराम मिल गया।
टीकाकरण को लेकर फैली भ्रांतियों में सबसे प्रमुख है
01. टीकाकरण के बाद आदमी का पावर घट जाएगा
02. सरकार जान बूझकर लोगों को टीका लगवा के मरवा रही है
03. वह कभी माँ या बाप नही बन सकते इत्यादि तमाम तरह की भ्रांतियां ग्रामीण क्षेत्रों में चरम पर है।
जबकि यह भ्रांतियां महज बकवास बातों के अलावा कुछ भी नही है। मैं ग्रामीण भाई बहनों व माताओं से अपील करता हूँ कि अधिक से अधिक संख्या में लोग बाहर आइये और टीकाकरण करवाइए तथा कोरोना को भगाने में सहायता प्रदान करिए खुद का जीवन सुरक्षित करिए।
इन्ही भ्रांतियों का नतीजा है कि हमारे उदयपुर ब्लॉक में दूसरे दौर में टीकाकरण की रफ्तार बेहद धीमी है तथा पहला डोज लगवा चुके लोगों में से लगभग 80 प्रतिशत लोग दोबारा कोरोना टीका का दूसरा डोज लगवाने नहीं आये है। इनमें कई सरकारी कर्मचारियों का नाम भी शामिल है जो दूसरा डोज का टाइम पूरा होने बाद भी अभी तक नही लगवाए हैं।
बात हमारे माननीय नेता गणों की चाहे वह पक्ष के हों या विपक्ष के अभी जब पब्लिक को सबसे ज्यादा अपने नेता की जरूरत है। इन परिस्थितियों में अधिकतर नेता जी अपने और अपनी जान का डर लेकर घर से 12 अप्रैल के बाद निकले ही नहीं है।
लानत है ऐसे नेताओं पर जो वोट लेने के टाइम पर गली गली घूमकर भीड़ इकट्ठे करते है और वोट मांगते है अरे नेताजी बाहर तो निकलो आज पब्लिक को सबसे ज्यादा जरूरत आपकी है क्योंकि वह आपकी बात मानती है। जिस तरह आप चुनाव के समय पब्लिक को समझाते है ना वोट देने के लिए वैसे ही आज आप सबसे पहले टीका लगवाकर उसे बताइए कि देखिए मैंने टीका लगवा लिया आप भी लगवाइए दुनिया मे फैले अफवाहों पर मत जाइए।
आज उस पब्लिक को आपने अकेला छोड़ दिया क्योंकि टीकाकरण से आपको निजी कोई लाभ तो मिलना नहीं है। क्योंकि यह तो पब्लिक है इसलिए हमको क्या करना जिसको मरना है मरे जैसी स्थिति में छोड़ दिये है।
जब चौकीदार, पटवारी, शिक्षक, मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, तहसीलदार, थानेदार, एसडीएम सड़क पर घूमकर अपना जीवन दांव पर लगाकर लोगों को बचाने का 24 घंटे प्रयास कर रहे है तब आप क्यों नही बाहर निकलते नेताजी या सिर्फ वोट मांगने के टाइम पर ही शक्ल दिखाओगे।
नेताजी चाहे वह सरपंच, जनपद सदस्य, जिला पंचायत सदस्य, जनपद अध्यक्ष उपाध्यक्ष, पार्षद, मेयर, विधायक या सांसद आप जो भी हो आपसे करबद्ध निवेदन है जिस जनता ने आपको वोट देकर अपना नेता चुना है उस पब्लिक के सेहत के लिए और कोरोना महामारी को भगाने के लिए एक बार सिर्फ एक बार तो फील्ड में मेहनत करके देखिए। हम सब निश्चित ही सामुहिक प्रयास से कोरोना को भगाने में सफल होंगे।
शासन स्तर पर एक प्रयास गांव के लोगों को जागरूक करने मतदाता जागरूकता की तरह ही अभियान चलाकर टीकाकरण के लिए प्रेरित करने से भी टीकाकरण कार्य मे तेजी आ सकती है।
अब बात ग्रामीण स्तर तक फैले संक्रमण की करें तो सबसे पहले यह समझना होगा कि जब सब कुछ बन्द है तो आखिर यह फैल कैसे रहा है। इसके प्रमुख कारणों में एक है बाहर के लोगों का आना जाना तथा दूसरा प्राइवेट प्रेक्टिस करते डॉक्टर साहबान आप सुबह 6 बजे चले जाइये इनके क्लिनिक पर आपको दर्जनों बाईक से मरीज बगैर सोशल डिस्टेंस का पालन किये इलाज कराते नजर आएंगे। इन लोगों के द्वारा लक्षण वाले मरीजों का भी कोरोना जांच नही कराते क्योंकि जिस मरीज को कोरोना जांच के बोले वह दूसरी जगह इलाज कराने चल देगा और दुबारा लौटेगा नहीं।
तो इस चक्कर में डॉक्टर कोरोना की जगह सिर्फ मलेरिया और टायफाइड जांच करवाते हैं और दवाई देते है। कई केस अपने आँखों देखा है पेशेंट की हालत बिगड़ी सरकारी अस्पताल आये कोरोना जांच में पॉजिटिव निकले डॉ द्वारा इलाज करते एक घंटे के भीतर जीवन लीला समाप्त।
दूसरा हमारे उदयपुर ब्लॉक में लगभग एक दर्जन बेलगाम झोला छाप डॉक्टर दिन रात एक करके कोरोना को बढ़ने में मदद कर ही रहे है।
गांव में शादी तथा अन्य समारोह प्रशासन की तमाम कार्यवाही के बाद भी बेधड़क जारी है यहाँ लोगों का आना जाना और तय 10 की संख्या को ठेंगा दिखाते आयोजन भी कोरोना के बढ़ने में काफी सहायक हो रहा है।
जब तक स्थानीय नेतागण जिनके कहने पर जनता अपना सर्वस्व समर्पित कर देती है वह बाहर नहीं निकलेंगे हम कोरोना को भगाने में सफल नहीं होंगे।