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केंद्र सरकार से राज्यो को मिल रहे ऑक्सीजन पर राज्यों को जवाबदेह बनाने की जरूरत : सुप्रीम कोर्ट , ऑक्सीजन ऑडिट के लिए टास्क फोर्स का गठन

देश में ऑक्सीजन के वितरण को बेहतर बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है। शनिवार को कोर्ट ने कहा है कि 12 सदस्यीय टास्क फोर्स आवश्यक दवाओं की उपलब्धता और कोविड से निपटने की भविष्य की तैयारियों पर भी सुझाव देगा। साथ ही कोर्ट ने केंद्र से मिल रहे ऑक्सीजन पर राज्यों की जवाबदेही तय करने की भी जरूरत बताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्यों की मांग और वहां की वितरण व्यवस्था के आकलन के लिए हर राज्य का ऑक्सीजन ऑडिट करवाया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने आज जारी आदेश में 12 सदस्यों वाले नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है। इस टास्क फोर्स के संयोजक कैबिनेट सचिव या उनकी तरफ से मनोनीत अधिकारी होंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव भी इसके सदस्य होंगे। साथ ही देश के दस जाने-माने डॉक्टरों को टास्क फोर्स में शामिल किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस टास्क फोर्स के गठन की वजह बताते हुए लिखा है, “देश इस समय अभूतपूर्व मानवीय त्रासदी से जूझ रहा है। अग्रणी विशेषज्ञों का यह टास्क फोर्स देश की तैयारियों को बेहतर बनाने ने मददगार साबित होगा।” कोर्ट ने कहा है कि टास्क फोर्स नीति आयोग, डीजी हेल्थ सर्विस, एम्स निदेशक, उद्योग सचिव, सड़क परिवहन सचिव जैसे अधिकारियों से सहयोग ले सकता है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह दो नोडल अधिकारी नियुक्त करे,जो टास्क फोर्स के लिए सभी जरूरी संसाधन उपलब्ध करवाने के लिए जिम्मेदार हों।

समय-समय पर दें कोर्ट को रिपोर्ट 

वहीं कोर्ट ने टास्क फोर्स का कार्यकाल फिलहाल छह महीने का रखा है। टास्क फोर्स से कहा गया है कि समय-समय पर कोर्ट को रिपोर्ट दे। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि ऑक्सीजन वितरण व्यवस्था को बेहतर बनाने को लेकर एक हफ्ते में सुझाव दिया जाए। आदेश में साफ किया गया है कि जब तक टास्क फोर्स अलग-अलग राज्यों के लिए ऑक्सीजन के आवंटन की व्यवस्था तय नहीं करता, तब तक केंद्र सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट की तरफ से बताई गई मात्रा में ही किसी राज्य को ऑक्सीजन देता रहेगा। मामले को 17 मई को सुनवाई के लिए लगाने का निर्देश दिया गया है।

राज्य को जवाबदेह बनाना भी जरूरी

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि केंद्र से मिलने वाले ऑक्सीजन के सही वितरण पर राज्य को जवाबदेह बनाना भी जरूरी है। हर राज्य की सही जरूरत और आंतरिक वितरण प्रणाली पर रिपोर्ट देने के लिए टास्क फोर्स ऑक्सीजन ऑडिट टीम बनाए। दिल्ली की ऑक्सीजन ऑडिट टीम सुप्रीम कोर्ट ने अपनी तरफ से ही बना दी है। इसमें एम्स निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया, मैक्स हेल्थकेयर के डॉक्टर संदीप बुद्धिराजा के अलावा केंद्र और दिल्ली सरकार से जॉइंट सेक्रेट्री स्तर के एक-एक आईएएस अधिकारी होंगे।

टीम में होगे ये डॉक्‍टर

डॉ. भबतोष बिस्वास, पूर्व कुलपति, प. बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज

डॉ. देवेंदर सिंह राणा, अध्यक्ष, सर गंगाराम हस्पताल, दिल्ली

डॉ. देवी प्रसाद शेट्टी, अध्यक्ष, नारायणा हेल्थकेयर, बंगलुरु

डॉ. गगनदीप कंग, प्रोफेसर, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर, तमिलनाडु

डॉ. जे वी पीटर, निदेशक, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर, तमिलनाडु

डॉ. नरेश त्रेहन, सीएमडी,मेदांता हस्पताल, गुरुग्राम

डॉ. राहुल पंडित, आइसीयू निदेशक, फोर्टिस हस्पताल, मुलुंड, मुंबई

डॉ. सौमित्र रावत, प्रमुख, सर्जिकल गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी, गंगाराम हस्पताल, दिल्ली

डॉ. शिव कुमार सरीन, वरिष्ठ प्रोफेसर, इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंस, दिल्ली

डॉ. जरीर एफ उडावाडिया, श्वास रोग विशेषज्ञ, हिंदुजा और ब्रीच कैंडी हस्पताल, मुंबई को शामिल किया गया है।

आपको बता दें कि शुक्रवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था, दिल्ली में ऑक्सीजन का ऑडिट हो, दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने इसका विरोध किया था, हालाँकि अब सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन के ऑडिट का आदेश दे दिया है।
केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बुधवार को दिल्ली को 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिला. दिल्ली के पास अब अतिरिक्त सप्लाई है और दिल्ली उसे अनलोड नहीं कर पा रहा. अगर हम दिल्ली को ज्यादा सप्लाई देते रहेंगे तो दूसरे राज्यों को दिक्कत हो सकती है. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली की 700 मीट्रिक टन की मांग सही नहीं लगती. इससे दूसरे राज्यों का नुकसान होगा. तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया गया कि दिल्ली के अस्पतालों में कुल स्टोरेज की क्षमता 478 मीट्रिक टन के करीब है. दिल्ली के अस्पतालों के पास स्टोरेज टैंक नहीं है.
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कहा था, दिल्ली के कई अधिकारी ऑक्सीजन वितरण देख रहे हैं. ऑक्सीजन लिफ्ट कर हॉस्पिटल तक पहुंचाना सप्लायर का काम होता है. हमारे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है. ऑक्सीजन वितरण में समय लगता है. उन्होंने यह भी कहा कि जो टैंकर खाली हैं, उन्हें भी केंद्र सरकार नहीं उठा रही है. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली के वकील राहुल मेहरा ने केंद्र सरकार की ऑक्सीजन ऑडिट की मांग का भी विरोध किया था.

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