सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो को छोड़ने के बदले नक्सलियों ने रखी ये शर्त
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर में बीते शनिवार को हुए जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में 23 जवान शहीद हो गए। 30 से ज्यादा जवान घायल हुए हैं। वहीं एक सीआरपीएफ का एक कोबरा कमांडो लापता है। उसका नाम राकेश्वर सिंह मनहास है। मंगलवार को नक्सलियों ने बयान जारी किया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की तरफ से प्रेस नोट जारी कर हमले की जिम्मेदारी ली गई है। नक्सलियों की तरफ से आए इस बयान में इस बात की पुष्टि की गई कि लापता जवान उनके कब्जे में है। बयान में यह भी कहा गया कि सरकार मध्यस्थों का ऐलान करें तो वो जवान को उन्हें सौंप देंगे। तब तक वह जनताना सरकार की सुरक्षा में रहेगा।
बयान में माओवादियों ने स्वीकार किया है कि इस मुठभेड़ में उनके चार साथी भी मारे गए हैं। उन चारों का नाम ओड़ी सन्नी, पदाम लखमा, कोवासी बदरू और नूपा सुरेश बताया गया है। दो पन्नों के बयान में माओवादियों ने कहा है कि वो अपनी महिला साथी सन्नी के शव को नहीं ले जा सके। बयान में कहा गया है कि मुठभेड़ के दौरान नक्सलियों ने 14 हथियार, दो हजार से अधिक कारतूस और कुछ अन्य सामान भी लूटे हैं। बयान के साथ उन्होंने कथित रूप से लूटे गए हथियारों की फोटो भी जारी की है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि उन्हें नक्सलियों द्वारा बयान जारी करने की जानकारी मिली है और बयान की सच्चाई की जांच की जा रही है।
वहीं बस्तर क्षेत्र में आदिवासियों के लिए काम करने वाली समाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी ने नक्सलियों से अपील की है कि वह जवान राकेश्वर सिंह को रिहा कर दें। सोरी ने कहा है कि अगर नक्सली जवान राकेश्वर सिंह की रिहाई में देरी करते हैं तो वो बुधवार को मुठभेड़ स्थल की ओर जाएगी और माओवादियों से बात करने की कोशिश करेंगी। गौरतलब है कि इस हमले को लेकर दावा किया जा रहा था कि सुरक्षाबलों से चूक के चलते यह घटना हुई। लेकिन सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह ने नक्सली ऑपरेशन में सुरक्षाबलों की चूक की बात को नकारा दिया है।