लगातार हाथियों की मौत का मामला.. तीन बिन्दुओं पर जांच करने पहुंचा जांच दल.. कहा एक महीने में हो जाएगा मौत के कारणों का खुलासा..
चंद्रिका कुशवाहा
सूरजपुर। बलरामपुर तथा सूरजपुर वनमंडल के अंतर्गत 6 से 10 जून के बीच 3 हथिनियों की मौत के बाद जांच करने पहुंची टीम के समक्ष स्थानीय रेस्ट हाउस में लोगों ने अपनी ओर से दावा-आपत्ति प्रस्तुत किया। इस दौरान जांच दल के द्वारा बताया गया कि उनके द्वारा प्रमुख रूप से तीन बिन्दुओं पर जांच की जा रही है जिसमें क्षेत्र में भ्रमण करते हुए ग्रामीणों से भी चर्चा की जाएगी, सभी बिन्दुओं पर जांच की अंतिम रिपोर्ट एक माह के अंदर शासन को सौंप दी जाएगी। इस जांच द्वारा प्रतापपुर व राजपुर के सभी वन अधिकारी व कर्मचारियों का भी बयान दर्ज किया गया, जिसमें उनके वन में भ्रमण से लेकर अन्य गतिविधियों का विस्तार से विवरण शामिल था।
मिली जानकारी के अनुसार हाथियों की मौत के बाद जांच दल के अध्यक्ष व सदस्य सुबह निर्धारित समय पर 11 बजे प्रतापपुर रेस्ट हाउस में पहुंच गए। इस दौरान दल ने वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी से हाथी की मौत के सम्बंध में पूछताछ की। यहां आने से पूर्व जांच टीम द्वारा गणेशपुर का दौरा किया गया जहां दो हथनियों की मौत हुई थी।
हाथियों की मौत के मामले की जांच में प्रतापपुर रेस्ट हाउस पहुंचे जांच दल के सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ देवा देवांगन ने बताया कि पूरी जांच मुख्यतः तीन बिंदुओं पर आधारित है। इन प्रमुख तीन बिन्दुओं में पहला हाथियों की मृत्यु के कारण एवं परिस्थितियां क्या थी, दूसरा क्या हाथियों की मौत पर किसी स्तर में चूक हुई। अगर ऐसा है तो इसके लिए उत्तरदायित्व किसका है ? और तीसरा क्या लगातार हाथियों की मृत्यु को रोका जा सकता था? वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ देवा देवांगन ने बताया कि इन प्रमुख तीन बिंदुओं के अलावा जांच दल इसके अलावा विभागीय पूछताछ के साथ घटनास्थल में ग्रामीणों से मुलाकात कर उनके विचार से भी अवगत होंगे, ताकि जमीनी तौर पर भी परिस्थितियों की सही जानकारी मिल सके।
प्रतापपुर रेस्ट हाउस में आपत्तिकर्ता मुकेश गोयल ने गोपालपुर अतौरी में हाथी की मौत से पहले उसके सुस्त रहकर दल से अलग रहने के समय विभाग की मॉनीटिरिंग का मुद्दा उठाया। इसके बाद आरटीआई एक्टिविस्ट राकेश मित्तल द्वारा गणेशपुर में गर्भवती हथिनी की 9 जून को मौत व पोस्टमार्टम के दौरान विसरा नही लेने पर आपत्ति दर्ज कराई। वहीं अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष नईमुद्दीन खान ने बलरामपुर वनमंडल में मृत हाथी का पोस्टमार्टम नहीं कराने को लेकर आपत्ति दर्ज कराई।
हाथियों को यहां से ले जाईये साहब..
रेस्ट हाउस से निकलकर जांच दल सीधे गणेशपुर पहुंचा जहां एकत्रित ग्रामीणों से दल के सदस्यों द्वारा हाथी के संबंध में चर्चा की गयी। इस दौरान सरपंच जोगेंद्र सिंह उपसरपंच सियाराम सहित कई अन्य ग्रामीण उपस्थित थे। यहां पर जांच दल ने हाथी से संबंधित कई सवाल ग्रामीणों से किये। अधिकारियों के जवाब देते हुए ग्रामीणों ने बताया कि उनके क्षेत्र में किस तरह हाथियों ने आतंक मचाया हुआ है। ग्रामीणों का कहना था कि हाथियों के आतंक से वे इतने भयभीत हो गये हैं कि हर समय उन्हें अपनी जान का खतरा लगा रहता है। कुछ ग्रामीणों ने तो अधिकारियों से यह तक कह डाला की ‘‘साहब हाथियों को यहां से ले जाईये हमारी जान को खतरा है’’। ग्रामीणोें ने हाथियों से भयभीत अपने छोटे-छोटे बच्चों की भी हालत जांच दल को बतायी। ग्रामीणों से चर्चा करने तथा उनका बयान दर्ज करने के बाद जांच टीम वहां से चलती बनी।
एक माह के भीतर शासन को सौंपी जायेगी रिपोर्ट
इस पांच सदस्यीय जांच समिति में अध्यक्ष रिटायर्ड पीसीसीएफ केसी बेवर्ता, सदस्य सचिव एपीसीसीएफ अरुण पांडेय, वाईल्डलाईफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि डॉ राजेन्द्र मिश्रा, चिकित्सक डॉ राकेश वर्मा व वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ देवा देवांगन मौजूद थे, उन्होनें बताया कि एक माह के भीतर जांच रिपोर्ट शासन को सौंपा जायेगा इसके बाद आगे क्या होना है इसका निर्णय शासन द्वारा किया जायेगा। इस दौरान सीसीएफ एबी मिंज व सूरजपुर डीएफओ जेआर भगत सहित सूरजपुर वनमंडल सहित राजपुर क्षेत्र का वन अमला मौजूद था।