CGPSC घोटाले में आयोग के पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी और छत्तीसगढ़ के बड़े उद्योगपति एवं बजरंग पावर इस्पात लिमिटेड के डायरेक्टर गिरफ्तार.. बेटे-बहू को डिप्टी कलेक्टर बनाने दिए थे 45 लाख रुपए
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है। सोनवानी पर कथित तौर पर 45 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सोनवानी की गिरफ्तारी पीएससी कैंडिडेट्स से 45 लाख रुपये की रिश्वत लेने के एक आरोप में की गई है।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने रायपुर की एक इस्पात कंपनी के निदेशक के बेटे एवं बहु का डिप्टी कलेक्टर के रूप में चयन सुनिश्चित करने के एवज में उससे कथित रूप से 45 लाख रुपये रिश्वत लेने को लेकर छत्तीसगढ़ लोकसेवा आय के पूर्व अध्यक्ष तमन सिंह सोनवानी को गिरफ्तार किया है।
जांच एजेंसी ने ‘बजरंग पावर एवं इस्पात लिमिटेड’ के निदेशक श्रवण कुमार गोयल को भी गिरफ्तार किया है जिन्होंने ग्रामीण विकास समिति के जरिए 20 और 25 लाख रुपये के दो किश्तों में कथित रूप से रिश्वत राशि का भुगतान किया था। सोनवानी के रिश्तेदार ग्रामीण विकास समिति के सदस्य थे।
आरोप है कि यह रिश्वत गोयल के बेटे शशांक और बहु भूमिका कटारिया का छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग की परीक्षा में डिप्टी कलेक्टर के रूप में चयन के वास्ते थी।
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की भर्ती में गड़बड़ी का मामला तब सामने आया था जब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। छत्तीसगढ़ में सरकार बनने के बाद भाजपा ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। आरोप है कि स्टील कंपनी के निदेशक श्रवण कुमार गोयल ने बेटे शशांक और बहू भूमिका कटारिया का छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में चयन के लिए पैसे दिए थे। उनका चयन उपजिलाधिकारी के रूप में किया जाना था।
पिछली सरकार (कांग्रेस कार्यकाल) में सीजीपीएससी भर्ती घोटाले में 48 मामलों की शिकायत राज्यपाल, सीएम और मुख्य सचिव से की गई थी। आयोग ने सीजीपीएससी 2021 के लिए 171 पदों पर प्रारंभिक भर्ती परीक्षा 13 फरवरी 2022 को ली थी। इसमें 2565 लोग उत्तीर्ण हुए थे। 26 से 29 मई 2022 को हुई मुख्य परीक्षा में कुल 509 उम्मीदवार उत्तीर्ण हुए थे। इंटरव्यू के बाद 11 मई 2023 को 170 अभ्यर्थियों की सूची जारी हुई थी। इस भर्ती में अनियमितता और भाई भतीजावाद के आरोप में सीजीपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, सचिव जीवनकिशोर ध्रुव, परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज हुई थी।
48 शिकायतों के बाद हुई थी कार्रवाई
पिछली सरकार (कांग्रेस कार्यकाल) में सीजीपीएससी भर्ती घोटाले में 48 मामलों की शिकायत राज्यपाल, सीएम और मुख्य सचिव से की गई थी। आयोग ने सीजीपीएससी 2021 के लिए 171 पदों पर प्रारंभिक भर्ती परीक्षा 13 फरवरी 2022 को ली थी। इसमें 2565 लोग उत्तीर्ण हुए थे। 26 से 29 मई 2022 को हुई मुख्य परीक्षा में कुल 509 उम्मीदवार उत्तीर्ण हुए थे। इंटरव्यू के बाद 11 मई 2023 को 170 अभ्यर्थियों की सूची जारी हुई थी। इस भर्ती में अनियमितता और भाई भतीजावाद के आरोप में सीजीपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, सचिव जीवनकिशोर ध्रुव, परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज हुई थी।
पूर्व मंत्री की शिकायत को बनाया आधार
इस भर्ती घोटाले को लेकर रमन सरकार में पूर्व मंत्री रहे और बीजेपी के सीनियर नेता ननकीराम कंवर ने पीएससी परीक्षा 2021-22 में अनियमित की शिकायत राज्यपाल से लिखित में की थी। इसके बाद महानिदेशक ईओडब्ल्यू/एसीबी रायपुर को अपराध पंजीबद्ध करने के लिए राज्य शासन की ओर से 2 फरवरी 2024 को पत्र मिला था। शिकायत में राज्य की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष सोनावानी, सचिव, राजनेता और अन्य ने मिलीभगत कर अपने बेटे-बेटियों, रिश्तेदारों को डिप्टी कलेक्टर समेत अन्य पदों पर फर्जी तरीके से भर्ती किए जाने पर केंद्रीय एजेंसी से जांच कराकर क्रमांक 1 से 71 की चयन सूची को निरस्त कर मामले में संलिप्त लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज करते हुए कार्रवाई करने के लिये राज्यपाल से अनुरोध किया था।
भाई-भतीजावाद का खेल!
आरोप है कि तत्कालीन अध्यक्ष सोनवानी के बेटे नितेश सोनवानी का चयन कथिततौर पर डिप्टी कलेक्टर, उनके बड़े भाई के बेटे साहिल सोनवानी का चयन डीएसपी और उनकी बहन की बेटी सुनीता जोशी का चयन श्रम पदाधिकारी, बेटे नितेश सोनवानी की पत्नी निशा कोसले का चयन डिप्टी कलेक्टर और भाई की बहू दीपा आदिल का चयन जिला आबकारी अधिकारी के रूप में हुआ था। इतना ही नहीं आरोप ये भी है कि सीजीपीएससी के तत्कालीन सचिव किशोर ने अपने बेटे सुमित ध्रुव का चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर कराया। इसके साथ ही आरोप ये भी है कि उस दौरान कांग्रेस सरकार के तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारियों के बेटा-बेटियों, रिश्तेदारों, नेताओं और पदाधिकारी को डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी आदि पद के रूप में चयनित किया गया ।