वैक्सीन का ऐसा डर, वैक्सीन लगवाने से इंकार करके 200 ग्रामीणों ने नदी में लगा दी छलांग, बाहर लाने के लिए SDM को संभालना पड़ा मोर्चा
कोरोना वैक्सीन की पर जनप्रतिनिधियों द्वारा फैलाई गई भ्रांतियाँ किस कदर ग्रामीणों में फैली है, इसका अंदाजा उत्तर प्रदेश के बाराबंकी की ताजा घटना से लगाया जा सकता है । यहां एक गांव में वैक्सीन लगाने पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम को देख कर लोग डर गए और उन्हें वैक्सीन न लगवानी पड़े, इसके लिए सरयू नदी में छलांग लगा दी। यह नजारा देख कर स्वास्थ्य विभाग की टीम के हाथपांव फूल गए और उनसे नदी से बाहर आने का अनुरोध करने लगे लेकिन ग्रामीण नहीं माने। मामले की जानकारी होने पर उपजिलाधिकारी मौके पर पहुंचेे। एसडीएम के समझाने के बाद ग्रामीण नदी से बाहर आये और वैक्सीन लगवाई। बता दें कि 1500 की आबादी वाले इस गाँव में मात्र 14 लोग ही वैक्सीन लगवाने की हिम्मत जुटा सके।
बाराबंकी जनपद की तहसील रामनगर के तराई के एक गाँव सिसौड़ा में ग्रामीणों को वैक्सीन लगवाने स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुँची थी। स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा गाँव में टीकाकरण कराने को सूचना मात्र से ही ग्रामीण डर गए और वह गाँव के बाहर से बह रही सरयू नदी के किनारे आकर बैठ गए।
वैक्सीनेशन के लिए पहुंची थी मेडिकल टीम
स्वास्थ्य विभाग की टीम को जब यह सूचना मिली कि ग्रामीण गाँव से बाहर नदी की तरफ है तो वह उन्हें समझाने चल दिये । अपनी तरफ टीम को आता देख कर ग्रामीण इतने भयभीत हो गए कि उन्हें भागने का रास्ता नही सूझा और वह टीम से बचने के लिए सरयू नदी में छलांग लगा दी। छलांग लगाते समय ग्रामीणों ने अपनी जान की परवाह भी नही की । ग्रामीणों को नदी में छलांग मारता देख स्वास्थ्य विभाग की टीम के हाथ पाँव फूल गए और ग्रामीणों से बाहर आने का अनुरोध करने लगे मगर ग्रामीण बाहर निकलने को तैयार नही थे।
उपजिलाधिकारी के समझाने पर ग्रामीण नदी से आए बाहर
उपजिलाधिकारी ( रामनगर ) राजीव शुक्ल और नोडल अधिकारी राहुल त्रिपाठी के समझाने के अथक प्रयास के बाद ग्रामीण नदी से बाहर आये । उपजिलाधिकारी ने ग्रामीणों के अन्दर व्याप्त डर और भ्रांतियों को दूर कर उन्हें वैक्सीन लगवाने के लिए राजी किया । तब जाकर एक के बाद एक कुल 14 लोगों ने वैक्सीन लगवाई । इस गाँव की आबादी की बात करें तो 1500 लोग यहाँ निवास करते है और टीकाकरण करवाया सिर्फ 14 लोगों ने ।
अब यह वैक्सीन का डर और देश के नेताओं द्वारा फैलाई गई भ्रांतियाँ है या फिर अक्सर किसी भी इंजेक्शन को देख कर डर जाने वाले ग्रामीणों का डर लेकिन इस घटना ने यह साबित किया है कि अभी लोगों में जागरूकता आनी बाकी है