रायपुर

छत्तीसगढ़ में करोना से मौत के बाद शवों के साथ बेकद्री ..

रायपुर । छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी और मृतकों की बढ़ती संख्या के बाद अब डराने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं। राज्य के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल डॉक्टर भीमराव आंबेडकर अस्पताल के मुर्दाघर में बड़ी संख्या में शव रखे हुए हैं।
छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों के लगातार बढ़ोतरी के बीच सोशल मीडिया पर तस्वीरें सामने आयी हैं राजधानी रायपुर में सबसे बड़े सरकारी अस्पताल आंबेडकर अस्पताल के मुर्दाघर के सामने में बड़ी संख्या में शव रखे दिख रहे हैं जिनका अंतिम संस्कार किया जाना है। इनमें कुछ शव स्ट्रेचर पर रखे दिख रहे है, वहीं कुछ शव जमीन पर हैं। यही हाल पड़ोसी दुर्ग जिले का भी है। वहां बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु होने की जानकारी मिली है।
हिंदू धर्म में आमतौर पर रात में शव नहीं जलाने की परंपरा है लेकिन अब जिला प्रशासन और नगर निगम के कर्मचारियों के सहयोग से रात में भी अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी जा रही है।

सिस्टम कर रहा है शवों की भी बेकद्री

इतनी अधिक मौतें कि ट्रकों से ढोना पड़ रहा है शव
प्रदेश में इतनी अधिक मौतें हो रही है कि शवों को श्मशान ले जाने के लिये गाड़ियां कम पड़ गई हैं। रायपुर में तो मालवाहक ट्रकों को शव वाहन बना दिया गया है। कल रायपुर के मेकाहारा से इसी तरह करीब एक दर्जन शव अंतिम संस्कार के लिए शहर के अलग-अलग हिस्सों में ले जाए गए।
इलाज के अभाव या देरी से इलाज मिलने की वजह से जिन लोगों की मौत हो रही है, उनके शवों के साथ भी बेकद्री की तस्वीरें आ रही हैं। रायपुर में कई दिन से पड़े जिन शवों को अंतिम संस्कार के लिये ले जाया गया, उनमें से कुछ में कीड़े पड़ चुके थे। राजनांदगांव के डोंगरगांव बालक छात्रावास में बनाए गए कोविड केयर सेंटर में कल तीन महिलाओं की मृत्यु हो गई। स्थानीय प्रशासन ने इन तीनों शवों को कचरा ढोने वाली गाड़ी में रखकर श्मशान भिजवाया।

दवाओं की कालाबाजारी अब भी जारी

प्रदेश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत और कालाबाजारी के बाद सरकार ने दो IAS अफसरों को मुंबई और हैदराबाद में बिठाया है। इनका काम दवा उत्पादक कंपनियों से समन्वय कर रेमडेसिविर जैसी दवाओं की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करना है। इसका असर दिखा है। लेकिन दवाओं की कालाबाजारी अब भी जारी है। मरीजों के परिजन दवा की पर्ची लेकर मेडिकल स्टोर पर भटक रहे हैं। वहीं कुछ लोग अधिक कीमत पर दवाएं मुहैया करा रहे हैं।

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