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बजट सत्र अभिभाषणः राष्ट्रपति बोले- गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण, शांतिपूर्ण आंदोलन का सम्मान

हिंद शिखर न्यूज  ।  बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने अभिभाषण के दौरान गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा का उल्लेख किया और कहा कि यह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है। साथ ही उन्होंने कहा कि हम शांतिपूर्वक चलने वाले आंदोलन का सम्मान करते हैं। राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद से आज संसद का बजट सत्र शुरू हो जाएगा। ज्ञात हो कि किसान आंदोलन के समर्थन में करीब 19 विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के बहिष्कार की घोषणा की है।

अपने अभिभाषण के दौरान 26 जनवरी को लालकिले में हुई घटना का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि पिछले दिनों हुआ तिरंगे और गणतंत्र दिवस जैसे पवित्र दिन का अपमान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। जो संविधान हमें अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है, वही संविधान हमें सिखाता है कि कानून और नियम का भी उतनी ही गंभीरता से पालन करना चाहिए।
हालाँकि इस दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीनों कृषि कानूनों का समर्थन भी किया। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि मेरी सरकार यह स्पष्ट करना चाहती है कि तीन नए कृषि कानून बनने से पहले, पुरानी व्यवस्थाओं के तहत जो अधिकार थे तथा जो सुविधाएं थीं, उनमें कहीं कोई कमी नहीं की गई है। बल्कि इन कृषि सुधारों के जरिए सरकार ने किसानों को नई सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ नए अधिकार भी दिए हैं। साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाये गए रोक का भी जिक्र करते हुए कहा कि वर्तमान में इन क़ानूनों का अमलीकरण देश की सर्वोच्च अदालत ने स्थगित किया हुआ है। मेरी सरकार उच्चतम न्यायालय के निर्णय का पूरा सम्मान करते हुए उसका पालन करेगी।
इसके अलावा राष्ट्रपति कोविंद ने अपने अभिभाषण में कोरोना टीकाकरण अभियान की चर्चा भी की. उन्होंने कहा कि हमारे लिए गर्व की बात है कि आज भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चला रहा है। इस प्रोग्राम की दोनों वैक्सीन भारत में ही निर्मित हैं। संकट के इस समय में भारत ने मानवता के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए अनेक देशों को कोरोना वैक्सीन की लाखों खुराक उपलब्ध कराई हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना काल में बनी वैश्विक परिस्थितियों ने जब हर देश की प्राथमिकता उसकी अपनी जरूरतें थीं तब हमें यह याद दिलाया है कि आत्मनिर्भर भारत का निर्माण क्यों इतना महत्वपूर्ण है। यदि अपने महत्व को बढ़ाना है तो दूसरों पर निर्भरता को कम करते हुए आत्मनिर्भर बनना होगा।

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