जशपुर जिले में चिकित्सा व्यवस्था की शर्मसार करने वाली तस्वीर आई सामने, 5 घण्टे बाद आये डॉक्टर.. एम्बुलेंश नहीं , पिकप में तड़पता रहा मरीज और फिर हो गई मौत, बेबस बुजुर्ग का नहीं हो सका इलाज, इस व्यवस्था के लिये कौन है जिम्मेदार, सरकार, सिस्टम या हम खुद……
मुकेश अग्रवाल हिंद शिखर न्यूज़ पत्थलगांव
जशपुर में हाथरस और महानगरों में होने वाली घटना पर प्रदर्शन कर, ज्ञापन सौंपकर अखबारों की सुर्खियां बटोरने वाले राजनीति करने वालों की होड़ लगी है। लेकिन उनके जिले में हो रही हत्या, बलात्कार, अव्यवस्था से मौत पर कोई दिलचस्पी नहीं है और वर्तमान राजनीति का यह विभत्स, संवेदनहीन स्वरूप भी। पंडरसिल्ली में दो मौत, आस्ता डबल मर्डर कांड, के बाद ताजा मामला एक गरीब ग्रामीण का इलाज के अभाव में मौत का सामने आया है, जिसके जांच की बात तो दूर अबतक किसी ने आवाज भी नहीं उठाई है।
कोरोना संक्रमित होने की आशंका से पिकअप में लादकर लाये गये गरीब बेबस बुजुर्ग को अस्पताल में दाखिल नहीं किया गया और घण्टों इलाज के अभाव में बुजुर्ग ने दम तोड़ दिया। मामला जशपुर के बगीचा विकासखंड के घोघर निवासी एक दिव्यांग बुजुर्ग का है जो कई दिनों से बीमार था। खांसी और सांस लेने में तकलीफ की वजह से कोरोना की आशंका पर बुजर्ग और उसके परिवार से ग्रामीणों ने नाता तोड़ दिया। यहाँ तक कि जिस हैंडपम्प से उसके परिवार पानी लेते थे उस हैण्डपम्प से ग्रामीणों ने पानी लेना तक छोड़ दिया। ग्रामीण की तबियत बिगड़ते देख कल गाँव के सरपँच सचिव ने पिकअप में लादकर बुजुर्ग को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र क़ुर्रोग भेज दिया पर वहाँ डॉक्टरों ने घण्टों इंतजार के बाद बिना इलाज किये उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाने की सलाह दी।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बगीचा पहुँचने के बाद पिकअप के चालक ने अस्पताल के स्टाफ से ग्रामीण के इलाज की बात कही तो स्टाफ ने छुट्टी होने का हवाला देते हुए 5 बजे के बाद डॉक्टरों के आने के बाद इलाज की बात कही। जिसके बाद पिकअप चालक और मृतक की पत्नी चार से पांच घण्टे अस्पताल से बाहर डॉक्टरों के आने का इंतजार करते रहे। शाम पांच बजे जब डॉक्टर पहुँचे तो पिकअप से बिना उतारे की डॉक्टरों ने उसको देख़ा और पिकअप समेत अम्बिकापुर रेफर कर दिया। पिकअप में इलाज होने की सूचना पर पत्रकार जब मौके पर पहुँची तब डॉक्टरों ने मरीज को प्राथमिक उपचार के लिए अस्पताल के अंदर ले जाकर उसका इलाज शुरू किया। देर से इलाज शुरू होने की वजह से मरीज की तबियत बिगड़ गयी और कुछ ही देरी में उसने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया।
घटना के बाद हमने जब अस्पताल के बीएमओ से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। इस घटना के बाद जशपुर की बदहाल चिकित्सा व्यवस्था के साथ समाज के क्रूर चेहरे को भी बेनक़ाब किया है जिसने कोरोना की आशंका पर एक बुजुर्ग को मदद ना कर उसे मौत के मुँह में धकेल दिया। बहरहाल अब देखना होगा कि स्वास्थ्य विभाग दोषी अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है।