बजट

7 लाख से अधिक कमाई पर भी टैक्स में छूट, ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के लिए कमेटी गठित, सहित अन्य संशोधनों के साथ लोकसभा में पारित हुआ वित्त विधेयक 2023

लोकसभा ने शुक्रवार को 64 आधिकारिक संशोधनों के साथ वित्त विधेयक 2023 पारित कर दिया। जिन संशोधनों को मंजूरी दी गयी है, उसमें नई कर व्यवस्था को अपनाने वाले करदाताओं को कुछ राहत देने के साथ जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन शामिल है।

सरकार ने नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनने वाले करदाताओं को शुक्रवार को कुछ राहत दी। इसके लिये वित्त विधेयक में संशोधन करते हुए यह व्यवस्था दी गयी है कि सात लाख रुपये की कर मुक्त आय से कुछ अधिक आय अर्जित करने वाले व्यक्तियों को केवल अतिरिक्त आय पर ही कर का भुगतान करना होगा।

वित्त मंत्रालय ने कहा कि नई कर व्यवस्था एक अप्रैल से प्रभाव में आएगी। वित्त मंत्रालय ने प्रावधान को समझाते हुए कहा कि नई कर व्यवस्था के तहत यदि किसी करदाता की वार्षिक आय सात लाख रुपये है, तो उसे कोई कर अदा नहीं करना होता। लेकिन यदि आय 7,00,100 रुपये है तो इसपर 25,010 रुपये का कर देना पड़ता है। 100 रुपये की इस अतिरिक्त आय की वजह से करदाताओं को 25,010 रुपये का कर देना पड़ता है।

इसीलिए संशोधन के जरिये मामूली राहत देने का प्रस्ताव किया गया है ताकि व्यक्ति जो कर अदा करे वह सात लाख की कर मुक्त आय से बढ़ी हुई आय से अधिक नहीं होना चाहिए। उपरोक्त मामले में सात लाख से अधिक आय 100 रुपये है इसलिए कर भी इतनी ही राशि पर लगना चाहिए। व्यक्तिगत करदाता जिनकी आय 7,27,777 रुपये तक होगी उन्हें इसका प्रावधान का लाभ मिल सकता है।

विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच वित्त विधेयक बिना चर्चा के ध्वनिमत से पारित हुआ। विपक्षी सदस्य अडाणी समूह की कंपनियों के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिये संयुक्त संसदीय समिति की मांग कर रहे थे और इससे संबंधित नारे लिखी तख्तियों को आसन के समक्ष आकर लहरा रहे थे और नारे लगा रहे थे।

वित्त विधेयक के सभी 64 संशोधन ध्वनि मत से पारित हुए। राज्यसभा में पारित होने और राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून का रूप ले लेगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में वित्त विधेयक 2023 को विचारार्थ और पारित करने के लिए प्रस्तुत करते हुए यह भी कहा कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में सुधार के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की जाएगी जो देश की वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों के हितों का ख्याल रखेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं प्रस्ताव करती हूं कि पेंशन के मुद्दे पर विचार के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाए और एक ऐसी तरीका निकाला जाए जिससे आम नागरिकों के संरक्षण के लिए राजकोषीय सूझबूझ के साथ कर्मचारियों की जरूरत पर ध्यान दिया जाए।’’

सीतारमण ने यह फैसला गैर-भाजपा शासित राज्यों में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को फिर से लागू करने का निर्णय और कुछ अन्य राज्यों में कर्मचारी संघों द्वारा इसकी मांग किए जाने की पृष्ठभूमि में लिया।

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