देखें वीडियो : सरगुजा कि यह जनजाति ऐसे करती है बारातियों का स्वागत , देखकर चौक जाएंगे आप
महेश यादव मैनपाट -सरगुजा के मैनपाठ क्षेत्र में बसे मांझी-मझवार जनजाति में बारातियों की स्वागत की अनूठी परंपरा है, जिसमें लड़की का भाई बारात का स्वागत करने कीचड़ से नहा, नाचते गाते बारात घर पहुंचते हैं, जहां वो दूल्हे को हल्दी, तेल लगा विवाह के मंडप में आने का आमंत्रण देते हैं। सरगुजा के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मैनपाठ अपने मनोहारी दृश्य के लिए देश भर में प्रसिद्ध है।
यहां के पहाड़ों और तराइयों में बसे मांझी- मझवार जनजाति अपनी अनूठी परंपराओं को लेकर भी अब जाने जा रहे हैं। आज मैनपाठ के ही ग्रामीण इलाके में बारात के स्वागत के लिए यह अनूठी परंपरा वहां के स्थानीय लोगों के माध्यम से सामने आई। मैनपाठ के पहाड़ी और तराई इलाकों में लगभग 25 हजार से अधिक मांझी-मझवार जनजाति कई पीढ़ियों से यहां बसे हैं। जंगल और नदियों पर आश्रित मांझी जनजाति पहले अभाव और बीमारियों के लिए सुर्खियों में रहे थे, मगर अब बदलते जीवन शैली में उनकी परंपरागत परंपरा है उन्हें सुर्खियों में ला रही है बताया जाता है कि माझी मझवार जनजाति अपने गोत्र की पहचान विभिन्न पशु पक्षियों के नाम पर रखते हैं जैसे भैंस मछली नाग सहित अन्य प्रचलित जानवर शामिल है….अलग-अलग उत्सवों में मांझी-मझवार अपने- अपने गोत्र के गौरव के मुताबिक उन पशु-पक्षियों के प्रतिरूप बन अपनी कुशलता का प्रदर्शन करते हैं। आज ऐसा ही अनूठा प्रदर्शन मैनपाठ के स्थानीय लोगों ने सोशल मीडिया पर जारी किया जिसमें मांझी जनजाति के भैंसा गोत्र के लड़की वालों ने बारातियों के स्वागत के लिए गांव में बकायदा एक ट्राली मिट्टी लाकर उसे कीचड़ में तब्दील किया और लड़की के भाई भैंस के समान पुआल का पूंछ बना पहले कीचड़ से लथपथ हो नाचते गाते बारात घर की ओर गाजे बाजे के साथ पहुंचे और बारातियों के सामने अपने कला का प्रदर्शन कर दूल्हे को तेल, हल्दी लगा शादी के लिए मंडप में लग गए। यह अनूठी परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। मझवार लोगों का कहना है कि अलग-अलग गोत्र में बारातियों का स्वागत उनके मान्यता प्राप्त पशु-पक्षियों के आधार पर ही किया जाता है, ताकि उनकी पहचान और गौरव से दूसरा परिवार अवगत हो सक