परमात्मा का अवतरण दिवस है महाशिव रात्रि का महापर्व।
बलरामपुर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय बलरामपुर में 87 वीं महाशिवरा़त्रि का पावन त्यौहार बहुत ही धूम-धाम से मनाया गया। इस कार्यक्रम में बलरामपुर के बहुत सारे भाई-बहने आकर कार्यक्रम का लाभ लिए। यह पर्व सभी पर्वो में महान एवं श्रेष्ठ है, क्योंकि शिवरात्रि परमात्मा शिव के दिव्य अवतरण का यादगार महापर्व है। महाशिवरात्रि का पर्व वास्तव में अपने अंदर के बुराईयों को त्याग कर दिव्य गुण धारण करने का पर्व है। जब तक व्यक्ति अपने अंदर के बुराईयों को त्याग नहीं करता है तब तक जीवन में सुख-शांति का अनुभव नहीं कर सकते हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि बलरामपुर के भूतपूर्व अध्यक्ष भ्राताश्री गोपाल मिश्रा जी ने दीप प्रज्वलित कर के किए।
इसके बाद झण्डा रोहन किया गया और साथ ही सभी को स्वयं की कमी कमजोरियों पर निजात पाने के लिये दृढ़ प्रतिज्ञा करायी गई। 87 वीं शिव जयन्ती को केक कटिंग और कैण्डल लाइटिंग करके मनाया गया।
इस महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में माननिय भूतपूर्व अध्यक्ष भ्राताश्री गोपाल मिश्रा, स्वास्थ्य विभाग से श्रीमति रीना गुप्ता जी, हनुमान मंदिर के पुजारी भ्राताश्री अखिलेश मिश्रा जी, शिशु मंदिर के प्रधान पाठक भ्राताश्री विनय कुमार पाठक जी, भ्राताश्री तिलकधारी टोप्पो जी, भ्राताश्री सुन्दरलाल राजवाड़े जी, भ्राताश्री लालचन्द धुव्रे जी एवं बलरामपुर संस्था के संचालिका ब्रह्माकुमारी संजू बहन जी तथा ब्रह्माकुमारी संस्था से जुड़े बहुत सारे भाई-बहन उपस्थित थे।
शिवरात्रि का ये महान पर्व पूरे संसार के गांव-शहर में सभी परमात्मा शिव के प्रति आगाध प्रेम श्रद्धा एवं भावना पूर्वक बहुत ही धूमधाम से मना रहे हैं। उक्त विचार बलरामपुर सेवाकेन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी संजू बहनजी ने अपने दिव्य उद्बोधन में सभी भक्तो के अन्दर भक्ति भावना को जागृत करते हुये कहा। आगे उन्होंने शिवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्य को बताते हुए कहे कि शिव के ऊपर बलि चढना अर्थात् अपने मैं पन की बुराईयों एवं विकारों की बलि देना अर्थात विकारों को परमात्मा को समर्पित करना हैं। परमात्मा के साथ हमारे सर्व सम्बन्ध होते हैं और जब वो इस धरा पर आते हैं तब उनसे हमारा सम्बन्ध जुड़ता हैं इसलिये इस पर्व को शिवजयंती शिव अवतरण के दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। और उन्होंने शिवरात्रि के शाब्दिक अर्थ को स्पष्ट करते हुये कहा कि जब मनुष्य काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार के वश हो अनैतिकता की ओर चलने लगता हैं जिससे उसका जीवन अंधकार मय हो जाता हैं। ऐसे में परमात्मा अवतरण हमारे जीवन को नैतिकता सीखाकर जीवन सुखमय शांतिमय बनाकर सतयुगी दुनिया के निर्माण के लिये होता है।