अम्बिकापुर

मैनपाट में हुए पुनः भूस्खलन ने ग्रामीणों की चिंता बढ़ाई

महेश यादव मैनपाट। छत्तीसगढ़ का शिमला कहें जाने वालें सरगुज़ा जिले के मैनपाट में लगातार हो रहीं रुक-रुक कर रिमझिम बारिश के मौसम के बीच मिट्टी बहने व भू-स्खलन की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं है,आपको बता दे कि विगत 5 दिनो पहले मैनपाट के बिसरपानी में भू-स्खलन की घटना सामने आयीं थी,वहीं अब मैनपाट के ग्राम समनिया से लगें कजरौटा में इलाकें में मिट्टी बहने और भू-स्खलन से धान की फसल नष्ट होने की घटना सामने आयीं है जिससे यहाँ के ग्रामीण किसान भारी दहशत में है,यहाँ मिट्टी बहने और भू-स्खलन होने से करीब 2 से 3 एकड़ के रकबे में लगें छः किसानों के धान की फसल नष्ट हो गई है,वहीं यहाँ खेत में जगह-जगह दरारें भी आ गई है जिससे किसानों की धान की रोपा पूरी तरह से बर्बाद हो गई है,विदित हो कि जिस क्षेत्र में भू-स्खलन की यह घटना हुई है उस क्षेत्र से ग्राम पंचायत समनिया के सिकरिया मोहल्ला दूरी महज एक से डेढ़ किलोमीटर की है जिससे ग्रामीण यहाँ ग्रामीण प्राकृतिक आपदा की आशंका से सहमे हुए है,गौरतलब है कि मैनपाट पहाड़ी क्षेत्र में किसानों के द्वारा सीढ़ीनुमा खेत बनाकर धान,टाऊ और मक्का सहित अन्य फसलों की खेती की जाती है,वहीं ग्रामीणों के मुताबिक पिछलें कई दिनों से हो रहीं बारिश के असर के कारण कजरौटा क्षेत्र में मिट्टी बहने औऱ भूस्खलन होने से किसी गंभीर हादसे का भी आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है,वहीं जानकारों की मानें तो विगत वर्ष 2006 में मैनपाट के परपटिया इलाकें में भूस्खलन की घटना सामने आयीं थी जिसमें करीब 2 किलोमीटर क्षेत्र में गहरा और लम्बा दरार हो गया था जो आज भी जस की तस बनी है,यहाँ पंचायत और वन विभाग के द्वारा सुरक्षा की दृष्टिकोण से उस क्षेत्र को घेरा गया है,वहीं इसके बाद सुपलगा और पैगा ग्राम पंचायत में भी भूस्खलन की घटना सामने आयीं थी,वहीं हाल ही में 5 दिनों पूर्व बिसरपानी में भूस्खलन की वजह से एक खप्परपोश मकान दरार की चपेट में आ गया था और कई हिस्सों में विभक्त हो गया था हालांकि उक्त घटना में कोई हताहत नहीं हुआ था,लेकिन पुनः समनिया के कजरौटा इलाकें में हुई भूस्खलन ने ग्रामीणों की चिंता बढ़ा दी है।

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