बलरामपुर

वनकर्मचारियों की मिलीभगत से वन माफिया जंगल तक पहुंच रहे हैं,और गांव के मजदूरों के सहारे जंगलों में अवैध कटाई को अंजाम दे रहे है

बलरामपुर।। जिले के वन परीक्षेत्र मानिकपुर में अवैध लकड़ी कटाई जोरों से चल रहा है।यहां कई ऐसे जंगल हैं,जहां बेरोक-टोक अवैध कटाई को अजंाम दिया जाता है।अवैध कटाई से मानिकपुर क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है।उत्तर प्रदेश और झारखंड सीमा से लगने के कारण वन अमला भी इस पर ध्यान नहीं देता है।

वनकर्मचारियों की मिलीभगत से वन माफिया जंगल तक पहुंच रहे हैं।और गांव के मजदूरों के सहारे जंगलों में अवैध कटाई को अंजाम दे रहे हैं।बलरामपुर वन मडंल के कई ऐसे वन परिक्षेत्र है जहां तस्करों का बोलबाला बेरोकटोक चलता है।लकड़ी तस्कर विभाग की पकड़ से बाहर है,मुखबिर से वन विभाग को अवैध लकड़ी की सूचना मिली।विभाग के कर्मचारी वन परीक्षेत्र मानिकपुर के जंगल में दबिश देकर अवैध चिरान लकड़ी से भरी पंच बैल गाड़ी को जब्त नही किया, लेकिन अब तक अपराधी को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।लकड़ी तस्कर अब भी विभाग की पकड़ से बाहर है
बैल गाड़ी के माध्यम से परिवहन किया जा रहा है।मानिकपुर गांव क्षेत्र में लकड़ी तस्कर अवैध कटाई कर रहे हैं। तस्कर मानिकपुर क्षेत्र से अवैध लकड़ी की कटाई कर बैल गाड़ी के माध्यम से परिवहन करते हैं। पेड़ कटाई का यदि आंकड़ा देखा जाए, तो दस सालों में छोटे-बड़े मामले मिलाकर करीब पांच से सात हजार प्रकरण विभाग में दर्ज हैं। अब तक कई मामलों में मुखबिर की सूचना पर लकड़ी जब्त किया गया है,लेकिन आरोपियों को पकडऩे में परहेज किया जा रहा है लकड़ी तस्करी जोरों पर इन दिनों मानिकपुर क्षेत्र से लकड़ी तस्करी जोरों पर हो रही है। हर दिन शाम के समय बैल गाड़ी से लकड़ी तस्करी की जा रही है।प्रबंधन समिति ठप वन अपराध को रोकने के लिए वर्ष 1998 मेें वन प्रबंधन समितियों का गठन किया था। समिति के माध्यम से अवैध कटाई रोका भी जा रहा था। लेकिन इसके बाद से वन प्रबंधन समिति भी सुस्त है।नहीं होती मानिटरिंग वनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी गांव-गांव में समिति को सौंपा गया है, लेकिन समिति के कार्य ठप हो जाने के बाद से अब कोई मानिटरिंग जंगल में नहीं होती है।

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