छत्तीसगढ़

पढ़िए वीरता की कहानी.. छत्तीसगढ़ के 3 बहादुर बच्चों का वीरता पुरस्कार के लिए हुआ चयन

हिंद शिखर न्यूज रायपुर । महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया की अध्यक्षता और छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष बृजमोहन अग्रवाल की उपस्थिति में 11 जनवरी को राज्य वीरता पुरस्कार 2020-21 के लिए जूरी समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद की जूरी समिति द्वारा राज्य वीरता पुरस्कार 2020-21 के लिए प्रदेश के तीन बहादुर बच्चों का चयन किया गया है। राज्यपाल अनुसुईया उइके चयनित बच्चों को आगामी 26 जनवरी गणतंत्र दिवस को राजधानी में आयोजित राज्य स्तरीय मुख्य समारोह में नगद पुरस्कार राशि 15 हजार रूपए, प्रशस्ति पत्र व मैडल प्रदान कर सम्मानित करेंगी। पुरस्कृत बालक-बालिकाओं को नियमानुसार छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाएगी। पुरस्कार के लिए चयनित बच्चों में रायपुर जिले की टिकरापारा निवासी 12 वर्षीय उन्नति शर्मा, पिता डॉ. हेमन्त शर्मा, धमतरी जिले की कुरूद निवासी 12 वर्षीय जानवी राजपूत पिता भारत भूषण राजपूत और दुर्ग जिले के खुड़मुड़ा गांव के रहने वाले चिरंजीव दुर्गेश सोनकर पिता स्वर्गीय रोहित कुमार सोनकर शामिल हैं। बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग की संचालक दिव्या उमेश मिश्रा, एनसीसी स्टेट सेल से ब्रिगेडियर कर्नल राकेश बुधनी, अपर कलेक्टर पद्मिनी भोई, छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद के महासचिव डॉ. अशोक त्रिपाठी और संयुक्त सचिव इंदिरा जैन उपस्थित थीं।

राज्य वीरता पुरस्कार 2020-21 के लिए चयनित साहसी बच्चों का परिचय और इनकी बहादुरी की कहानी

1. कुमारी उन्नति शर्मा- रायपुर के आरडीए कॉलोनी टिकरापारा निवासी डॉ. हेमन्त कुमार शर्मा की पत्नी डॉ. मीना शर्मा अपनी 11 वर्षीय पुत्री कुमारी उन्नति शर्मा और अपने ढ़ाई साल के पुत्र श्रीहान को साथ लेकर अपने भाई मनीष दुबे के वसुन्धरा विहार रायपुर स्थित घर गई थीं। 13 मार्च 2020 को कुमारी उन्नति के मामा-मामी नौकरी पर चले गए थे। उन्नति की मां डॉ. मीना शर्मा भी शिक्षिका होने के कारण स्कूल गई थीं। घर में उन्नति और उसका छोटा भाई श्रीहान ही थे। दोपहर में जब श्रीहान सो गया, उन्नति घर से बाहर बच्चों के साथ खेल रही थी। खेलते हुए बच्चों ने अचानक देखा कि उन्नति के मामा के घर से धुंआ निकल रहा है। धुंआ बहुत अधिक बढ़ गया था। घर के अन्दर से उन्नति के छोटे भाई श्रीहान के रोने की आवाज आ रही थी। बालिका उन्नति ने समय न गंवाते हुए घर के अन्दर जाकर बिजली के मेन स्वीच को बंद किया और दौड़ कर उस कमरे में गई जहां श्रीहान रो रहा था। वह अपने छोटे भाई को गोद में उठाकर बाहर आ गई और लगभग 200 मीटर दूर निवासरत अपने मौसा श्री हितेन्द्र तिवारी को मोबाईल से सूचना देकर घर बुलाया। तब तक घर के किचन में आग फैल चुकी थी। पड़ोसी घर के अन्दर जाने में हिचक रहे थे। मौसा हितेन्द्र तिवारी के आने पर उन्नति ने उनके साथ मिलकर घर की आग बुझाई।
कुमारी उन्नति के सूझबूझ से एक बड़ी घटना टल गई। आग की लपटें बढ़ नहीं पाईं और घर के साथ ही कॉलोनी भी आग की लपटों से बच गई। किचन का समान पूरी तरह जल चुका था, लेकिन उन्नति ने अपने साहस से अपने छोटे भाई की जान बचा ली। विधायक पश्चिम रायपुर, डीडी नगर रायपुर के थाना प्रभारी, वार्ड पार्षद और शाला की प्राचार्य ने कुमारी उन्नति के साहस की प्रशंसा करते हुए वीरता पुरस्कार के लिए प्रस्ताव प्रेषित किया। रायपुर कलेक्टर के द्वारा कुमार उन्नति शर्मा के साहस, त्वरित निर्णय क्षमता और सूझबूझ को ध्यान में रखते हुए उसे वीरता पुरस्कार देने की अनुशंसा की गई।

2. कुमारी जानवी राजपूत- धमतरी जिले के कुरूद के कारगिल चौक निवासी श्री भारत भूषण राजपूत का 5 वर्षीय पुत्र चिरंजीव शिवांश राजपूत 15 अगस्त 2019 को सुबह 11.30 बजे अपने घर के छत पर खेल रहा था। छत की ऊंचाई 14.05 फीट है। खेलते हुए शिवांश छत से गुजरते बिजली तार के चपेट में आ गया। शिवांश को बचाने की कोशिश में उसकी मां और बहन भी बिजली के झटके से दूर गिर गईं। शिवांश बिजली के तार से चिपका तड़प रहा था। इसी समय शिवांश की 12 वर्षीय बड़ी बहन जानवी राजपूत ने त्वरित सूझ-बूझ से काम लेते हुए छत में रखे बांस को उठा लिया और तार पर जोर-जोर से मारने लगी। इससे शिवांश बिजली के तार से छूट गया लेकिन छत से नीचे गिरने लगा। बहन जानवी ने त्वरित निर्णय और हिम्मत दिखाते हुए शिवांश का हाथ पकड़कर उसे ऊपर खीचा और उसकी जान बचा ली।
वार्ड पार्षद और उसके शाला के प्रधान पाठक द्वारा कुमारी जानवी के साहस की प्रशंसा की गई तथा धमतरी जिले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक द्वारा कुमारी जानवी के साहस, सूझ-बूझ को ध्यान में रखते हुए उसे वीरता पुरस्कार प्रदाय किए जाने की अनुशंसा की गई।

3. चिरंजीव दुर्गेश कुमार सोनकर- दुर्ग जिले के खुड़मुड़ा गांव के निवासी बाला सोनकर 21 दिसम्बर 2020 को अपने परिवार के साथ खेत में बने अपने मकान में सो रहे थे। रात में आरोपी द्वारा परिवार के बाला सोनकर, पत्नी दुलारी बाई उनके बेटे रोहित और बहु कीर्ति सोनकर की हत्या कर दी गई। रोहित का कक्षा पांचवी में अध्ययनरत 11 वर्षीय पुत्र चीखने-चिल्लाने की आवाज सुनकर जाग गया। किसी अनजानी आशंका के चलते दुर्गेश के बाल मन में अपने तीन छोटे भाईयों की सुरक्षा की चिन्ता हुई। उसने अपने भाईयों को सब्जी रखने के बोरे से ढ़क दिया, जिससे हत्यारे की नजर मासूमों पर नहीं पड़ी और सभी सकुशल बच गए। इसके बाद मां की चीख सुनने पर दुर्गेश दौड़ते हुए अपनी मां के पास पहुंचा। मां को खून से लथपथ देख कर वह रोने लगा, तब आरोपी ने दुर्गेश को मारने के उद्देश्य से घर की दीवार से उसके सिर को दो बार जोरदार टक्कर मार दी, जिससे दुर्गेश के सिर से खून बहने लगा और वह बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा। हत्यारे को लगा दुर्गेश की मौत हो गई है, इसके बाद वह मौके से फरार हो गया। जिसकी पुलिस द्वारा तलाश जारी है। 22 दिसम्बर मंगलवार की सुबह घटना स्थल पर सब्जी लेने पहुंचे आटो वाले ने घटना की जानकारी गांव वालों और पुलिस को दी। बालक दुर्गेश के सूझ-बूझ से उसके मासूम भाईयों की जान बच गई। उसके साहस को देखते हुए स्कूल के प्रधान पाठक और जिला कलेक्टर दुर्ग ने बालक दुर्गेश कुमार सोनकर को राज्य वीरता पुरस्कार प्रदान करने की अनुशंसा की।

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