राज्यसरगुजा संभाग

शासन-प्रशासन की बेरुखी से परेशान कंदनई के ग्रामीणों ने स्वयं की मेहनत से पहाड़ का सीना चीर कर बनाया रास्ता: देखें वीडियो

महेश यादव हिंद शिखर न्यूज मैनपाट । सरगुजा जिले के मैनपाट विकासखंड के ग्राम पंचायत कंदनई में ग्रामीणों के कारनामे को देखकर लोगों को माउंटेन मैन फिल्म का वह डायलाग याद आ रहा है जिसमें मुख्य किरदार दशरथ मांझी कहते हैं कि ‘भगवान के भरोसे क्यों बैठे हो क्या पता भगवान हमारे भरोसे बैठा हो’ दरअसल कंदनई ग्राम के ग्रामीणों का कारनामा बिहार के दशरथ मांझी के संघर्ष भरे जीवन से काफी मेल खाता है ।

ज्ञात हो की मैनपाट के तराई में बसे कंदनई के ग्रामीणों को विकासखंड मुख्यालय कमलेश्वरपुर तक पहुंचने के लिए 35 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था. सड़क की हालत ऐसी थी कि गांव तक एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पाती थी मजबूरन बीमारों व प्रसूताओं को खाट की झलगीं बनाकर नदी के रास्ते इलाज के लिए कमलेश्वरपुर ले जाना पड़ता था बरसात के दिनों में यह दिक्कत और बढ़ जाती थी मरीजों को समय रहते अस्पताल पहुंचाना चुनौतीपूर्ण होता था साथ ही साथ तहसील आदि जाने के लिए भी लंबा सफर तय करना मजबूरी थी. ग्रामीण जनप्रतिनिधियों एवं सरकारी अधिकारियों से अरसे से सुविधाओं की मांग कर रहे थे लेकिन जब सरकार और प्रशासन की तरफ से मदद की गुंजाइश खत्म हो गई तो ग्रामीणों ने अपनी तकदीर अपने हाथों से लिखने का मन बनाया .

ज्ञात हो कि मैनपाट के तराई क्षेत्र का गांव कंदनई जो कि एक तरफ घुनघुट्टा नदी तो दूसरी तरफ पहाड़ से घिरा हुआ है राशन और इलाज के लिए सड़क की बाट जो रहे ग्रामीण शासन-प्रशासन से सड़क की मांग करके थक चुके थे.

 

सरकारी उदासीनता से त्रस्त होकर आखिरकार ग्राम वासियों ने ग्राम सभा में यह तय किया कि वे बगैर सरकारी सहयोग के गांव में सड़क तैयार करेंगे और सप्ताह में एक दिन रविवार को ग्रामवासियों ने श्रमदान करने का निर्णय लिया फिर क्या था ग्राम वासी निकल पड़े गैंति फावड़ा और कुल्हाड़ी लेकर और महज 4 माह में पहाड़ का सीना चीर कर रास्ता बना दिया और जनपद मुख्यालय कमलेश्वरपुर की जो दूरी 35 किलो मीटर की थी वह महज 16 किलोमीटर रह गई

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